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Hindi Moral Stories | दीनू और उसका परिवार
बहुत साल पहले की बात है एक छोटे से गांव में एक नाई रहता था। उस नाई के घर पर उसकी बीवी और उसका एक बेटा रहता था। नाई के मन मे बिल्कुल शांति नहीं थी। क्योंकि उसका बेटा दीनानाथ जो कि 20 साल का था। लेकिन वह नाई का काम सीखना ही नहीं चाहता था। लेकिन उसके पास एक बहुत अच्छा हुनर था। और वो...
तभी उसकी माँ उसे जोर जोर से आवाज लगाकर उठाने लगी, दीनू, दीनू अभी तेरा पिताजी आ जाएंगे घर पर जल्दी उठ। दीनू सोते हुए भी अपने पिताजी की कैंची की आवाज सुन रहा था और अंगड़ाईयाँ लेकर कहने लगा। माँ पिताजी इतनी जल्दी नही आएंगे वे अभी भी बाल काट रहे है। आप बिल्कुल चिंता मत करिए। मुझे थोड़ी देर और सोने दो ना।
तभी दीनू की माँ उसकी प्रतिक्रिया सुनकर कहती है, ओह्ह एक भी बात इसको समझ नही आती है। एक काम कर जब तेरे पिताजी दुकान से निकलेंगे तब तुम मुझे आवाज दे देना। तब मैं खाना बनाना शुरू कर दूँगी। ठीक है ना । इतना कह कर दीनानाथ की मैं वह से रसोई घर की तरफ चली जाती है।
और थोड़ी देर बाद दीनू तेज आवाज में अपनी माँ को आवाज लगाने लगता है कि, मां पिताजी आ रहे हैं खाना तैयार करो। दीनू ऐसा कह ही रहा था कि तभी उसके पिताजी ने उससे कहा कि रहने दो मुझे आज भूक नही है।
तभी दीनू अपनी माँ से कहने लगता है कि माँ रहने दो पिताजी को आज भूख नही है। वो भोजन नही करंगे तो तुम पकवान मत बनाओ। ऐसा सुनते ही उसकी माँ सोचने लगती है कि कैसे बेटा है दीनू अपने पिताजी को मनाने के बजाय वो मना कर रहा है।
फिर डीने के मा को लगने लगता है कि दीनू का परिवार से लगाव नही है। वो बस सिर्फ पिताजी के डर से उनका आदर सम्मान करता है। वो रात में दीनू के पिता को सारी बात बताती है। लेकिन वो कहते है अरे नही अभी बच्चा है।
उसका भला हमारे अलावा है ही कौन जो वो ऐसा सोचेगा। तुम बस इसी तरह का सोच रही हो। लेकिन दीनू की माँ तो सारा दिन उसके साथ रहती है। उसे अब उसके आचरण पर संदेह होने लगा। और वो उसकी परीक्षा लेने को सोची।
फिर अगले दिन जब दीनू के पिता अपने काम और चले जाते है तो वो एक प्लान बनाती है। हालांकि ऐसा करना उसको उचित नही लगा लेकिन जरूरी होने के कारण उसने ऐसा करना उचित समझा।
फिर क्या था उसने दीनू से बोला कि दीनू तुम आज घर पर रहना कहि मत जाना। मैं अभी बाजार जा रही हु और गांव में एक दो लोगो के यह भी जाना है। तो मुझे वापस लौटने में शाम हो जयेगी।
अगर तुम्हारे पिताजी घर आ जाएं तो उन्हें पानी और नास्ता दे देना। मैन बना के रख दिया है। तब दीनू यह सुनकर एकदम प्रसन्न हो उठता है। उसकी खुसी समा नही रही थी।
मन ही मन उसने सोचा आज तो खूब मजे करूँगा। पूरा दिन सोऊँगा और पिताजी के आने से पहले उठ जाऊंगा किसी को पता भी नही चलेगा। दीनू की माँ घर से बाजार की ओर निकल पड़ती है।
जैसे ही कुछ समय होता है दीनू तुरन्त अपने बिस्तर पर जेक सो जाता है। इधर दीनू के पिता काम करके घर आते है तो देखते है कि घर एकदम सुनसान है। किसी की आवाज नही। तो उन्हें लगता है सब भर गए होंगे। वो फिर अपने से पानी लेते है और बैठ जातें है।
तभी कुछ देर बाद दीनू की माँ घर वापस आ जाती है। और दीनू के पिता को बाहर बैठा देख वो समझ जाती है कि जैसा उसने सोचा सब वैसा ही हुआ। बस फिर क्या था न देखा एक न देखा दो। वो तुरन्त दीनू के कमरे जाती है।
और उसे मार मार के उठाने लगती है दीनू तुरन्त उठता है और वह ख़बराया से रहता है। फिर अपनी माँ के डाट और फटकार सुनने के बाद उसे अहसास होता है। कि उसका भी कुछ जिम्मेदारी अपनी माता और पिता के लिए बनता है।
जो वो पालन नही कर रहा है। अब दीनू को ऐसा एहसास होने पर वो अपने माता पिता का पूरे भाव सेहत सेवा करने लगा और उनके बताये हुए मार्ग पर चलने लगा।
शिक्षा: बच्चो को निठल्ला नही बनना चाहिए और अपने माता पिता की बातों को मानना चाहिए।जरूरी नही की जब तक डांट न पड़े उनकी बात को तब तक न माने।
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