Moral Stories In Hindi For Kids with PDF


Moral Stories In Hindi For Kids PDF | मोरल स्टोरी इन हिंदी - बच्चो की कहानिया 

प्यारे बच्चो के लिए आज हम ४ बेहतरीन Moral Stories In Hindi For Kids PDF| मोरल स्टोरी इन हिंदी | लेकर आये है| आज के इस पोस्ट में आप सभी को ४ अलग अलग कहानी पढ़ने को मिलेंगी | इन सभी कहानियो को पढ़ कर आप सभी को आनंद एवं सीख प्राप्त होगी। अगर आपको हमारे Kids Story Hindi पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों, भाई, बहनो के साथ साझा करे।  और आपको कहानी कैसी लगी ये जरूर बताये।

Moral Stories In Hindi For Kids PDF | मोरल स्टोरी इन हिंदी क्या है?

मोरल सब इंग्लिश का एक शब्द है जिसका नैतिक होता है और और इसी तरह मोरल स्टोरी का शाब्दिक अर्थ नैतिक कहानियां होता है जिसका तात्पर्य होता है कि ऐसी कहानियां जिससे आपको किसी भी तरह की शिक्षा की प्राप्ति हो जिसे आप उससे सकेगी उसे मोरल स्टोरी कहते हैं।

मोरल स्टोरी बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए भी जरूरी होती है इसे आपको जिंदगी में अच्छी अच्छी सीख मिलती है अच्छी कहानियों से पढ़ने से आपका मानसिक विकास दोनों होता है या कहानियां बच्चों को प्राइमरी शिक्षा में बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जिससे उनका मानसिक विकास होता है।

और वह नैतिक शिक्षा में अच्छी शिक्षा का की प्राप्ति करते हैं आज के हमारे विचार कहानियों में भी कई नैतिक शिक्षा छुपी हुई है जिससे बच्चे पढ़ कर एक अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।


लालू की चतुराई | Laalu Ki Chaturai - Moral Stories In Hindi | मोरल स्टोरी इन हिंदी |

1. लालू की चतुराई | Laalu Ki Chaturai - Moral Stories In Hindi | Moral Stories In Hindi For Kids PDF | 

लालू नाम का एक दूधिया था। वह दूर-दूर के क्षेत्रो में अपने दुग्ध व्यापर के लिए जाना जाता था। लालू की जिंदगी में दो चीजें बहुत ही महत्वपूर्ण थी। वह अपनी इज्जत और अपने जानवरो से बहुत प्रेम करता था। 

लालू के ग्राहक भी लालू से बहुत खुश रहते थे। और वे उसकी चर्चा दूसरे व्यक्तियों, पड़ोसियों, और रिस्तेदारो से करने लगे थे। धीरे धीरे लालू के किस्से दूर दूर तक फैलने लगे। 

लालू के इतना प्रसिद्ध होना भी जायज था। उसके जैसा ईमानदार दूधिया उस क्षेत्र में कोई दूसरा नही था। यही बात उसके ग्राहकों को बहुत पसंद आती थी। वह दूध के सामान और दूध में कभी भी कोई मिलावट नही करता था। 

और अपने जानवरो को भी बहुत प्यार करता था उनको पौस्टिक एवम भरपूर भोजन प्रयाप्त मात्रा में देता था जिसके कारण उनका स्वास्थ एवम दूध की गुणवक्ता भी अच्छी होती थी। 

एक दिन उसके पास एक आदमी आया जो उसके व्यापर से बहुत जलन रखता था । वह लोगो को लालू के बारे में बहुत गलत गलत खबरे सुनाता था। और लालू को बदनाम करने में पूरी कोसिस करता था। 

लेकिन हर बार वह अपने इस कार्य मे विफल हो जाता था। लालू इस बात से पूरी तरह अनजान था और उसे तो इतना प्यार मिलता था कि वह कभी किसी के बारे में सोचता ही नही था। 

एक दिन वही आदमी लालू के पास आया और वह लालू से उसके व्यापार के बारे में पूछने लगा। तो लालू को यह बात थोड़ी अलग लगी लेकिन फिर भी लालू ने हस कर उस व्यक्ति की बात को टालने लगा। 

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तो उस व्यक्ति ने सोचा लगता है बहुत ही गहराई (राज) वाली बात है जो यह मुझसे नही बता रहा है। इसका पता तो पता लगा कर ही छोडूंगा। ऐसा उसने अपने मन मे सोचा। और फिर वहां से चला गया। 

लालू को उस व्यक्ति का यू सवाल पूछना और फिर वहाँ से चले जाना एक बार फिर अजीब लगता है। इस बार उसने उसका यू आना और फिर यू ही चले जाना, दाल में कुछ काला होने का संदेश ज्ञात हुआ। 

फिर लालू गांव की सैर पर निकल जिसका मुख्य उद्देश्य उस व्यक्ति की मंशा का पता लगाना था। अब लालू घूमते घूमते अपने उन सभी मित्रों के पास गया जहां से उसे सहायता मिलने की उम्मीद थी। 

और वैसा ही हुआ लालू के मित्रो ने उसे निराश नही किया और उन सब लोगो ने मिलकर एक बहुत बेहतरीन उक्ति बनाई। और फिर एक दूसरे के साथ साझा किया। 

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फिर अगली सुबह लालू युक्ति के अनुसार कार्य करने लगा आज वो अपने मित्र ग्राहकों के साथ उक्ति पर अमल करेगा। लेकिन तब जब वह व्यक्ति फिर से लालू के पास आएगा। 

कुछ क्षण बाद, वह समय आ गया और वह व्यक्ति फिर एक बार गलत इरादे के साथ लालू के पास आ पहुँचा। उसी समय लालू के मित्र उक्ति अनुसार कार्य करने लगे। 

लालू ने भी उस व्यक्ति से ठीक वैसा ही व्यवहार किया जैसा पहले किया करता था ताकि उस व्यक्ति को शक न हो। और उस व्यक्ति से नही बोला, अब उससे और नही रुका जा रहा था। 

फिर उसे अपने कुछ चुंन्दे सवालों की बौछार शुरू करदी। और इस बार लालू नर बोला भी तुम भी व्यावपर करते हो और मैं भी हम दोनों भाई है। आओ चलो मैं तुम्हे आपने व्यापार का राज बताता हूं। 

दोनो एक कमरे में चले गए, और फिर लालू ने मित्रो के साथ मिलकर जो उक्ति बनाई थी वही बताना शुरू कर दिया। 

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लालू ने बोला - मित्र मैं जानवरो से दूध को निकालने के बाद इस कमरे में उसमे अन्य समग्री का मिश्रण करता हु जिससे दूध का स्वाद स्वादिष्ट एवम मीठा लगे। और इसमें समान मात्रा में पानी भी मिलाता हु ताकि मुनाफा हो सके। और सबसे बड़ी बात मैं इसमे  बतासे मिलता हु तकि मिठास बरकरार रहे। 

देखना अभी जो बाहर लोग बैठे है उनको मैं यही दूध देने वाला हु और वो लोग कितनी तारीफ करते है । उस आदमी ने भी बोला वाह भाई तुम्हारी तो अलग ही बात है। वही तो मैं सोचूँ कुछ तो गड़बड़ है। चलो देखते है। 

उस व्यक्ति ने ऐसा कहा, वे दोनों बाहर निकलते है और ठीक वैसा ही दृश्य उस व्यक्ति के सामने आता जैसा लालू ने उसको बताया था। यह देखकर वह एकदम प्रफ़ुल्लित हो गया और वह से चुपके से निकल पड़ा। 

और घर पहुच कर उसने वह सारा प्रबंध कर लिया जो लालू ने उसे समझाया था। और अगली सुबह लालू जब उसके ग्राहक आये तो उसमें एक लालू के मित्र भी था। और जब सभी दूध लेकर निकल रहे थे तब लालू के मित्र ने बोला भी आज आपका दुध कुछ अलग लग रहा है। 

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इतना सुनते ही दूसरे ग्राहक भी अपने अपने दूध की जांच करने लगे और वो लोग यह देखकर एकदम ढंग रह गए। और मिलावट को लेकर लालू को बुरी तरह पीटा। और उसके यह से दूध लेना चोर दिए। 

तब उस व्यक्ति को समझ आया कि लालू ने उसके साथ चतुराई दिखयी और वह अपने किये पर पछताने लगा। उसे यह समझ नही था कि व्यापार में गुणवत्ता ले साथ साथ व्यवहार का अच्छा होना भी जरूरी है। 

कहानी से शिक्षा - व्यक्ति की दुसरो के बढ़ने पर कभी जलन नही रखना चाहिए, अन्यथा लालू के जैसे चतुराई से कभी भी आपका समना हो सकता है और आप को निराशा के अलावा कुछ हाथ नही आएगा।



समय का सदुपयोग - Moral Stories In Hindi | मोरल स्टोरी इन हिंदी | Kids Story

2. समय का सदुपयोग - Moral Stories In Hindi For Kids PDF | मोरल स्टोरी इन हिंदी 

समय के साथ जो व्यक्ति कार्य करता है उसे ही अच्छी सफलता व अच्छे परिणाम मिलते है और जो समय के साथ कार्य नही करता उसे अच्छी सफलता व अच्छे परिणाम नही प्राप्त होते हैं!...

ऎसा ही हुआ .....

धनीराम का छोटा सा परिवार था ! जिसमे उसकी पत्नी और उसके दो बच्चे राजू और लक्ष्मी रहते थे। धनीराम की बेटी लक्ष्मी बहुत मेहंती थी । और राजू अपना सारा काम कल पर डाल देता था । राजू और लक्ष्मी स्कूल में जो कार्य टीचर देती । लक्ष्मी समय के साथ तैयार कर लेती थी । और राजू कल पर छोड़ देता था । और लक्ष्मी को भी बोलता कि अभी बहुत समय है बाद में स्कूल का काम करेंगे । 

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चलो खेलते हैं लेकिन लक्ष्मी मना कर देती थी। और राजू को भी बोलती कि तुम भी तैयारी कर लो पर राजू नहीं सुनता और सारा समय खेलता रहता था ।

धनीराम राजू को समझाता की लक्ष्मी के जैसे पढ़ाई किया करो देखो तुम्हारी बहन सारा काम समय से करती है और समय पर खेलती है और स्कूल का काम भी समय से करती है उसे कुछ सीखो तो राजू बोलता है ।

अरे पापा अभी बहुत समय है मुझे अभी खेलना है और स्कूल का काम झट से कर लूंगा दूसरे दिन जब वे दोनों स्कूल जाते हैं। लक्ष्मी बहुत समझदार और मेहनती लड़की थी आखिरकार दोनों का परीक्षा का दिन भी आ गए थे परीक्षा होने में 2 दिन ही बचे थे।

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धनीराम राजू को बोलते हैं राजू खूब मन लगाकर पढ़ो बेटा मुझे तुम्हारी बहुत चिंता हो रही है तुम आज का काम कल पर डाल देते हो और पढ़ाई कल पर नहीं टालना चाहिए लक्ष्मी की तरह सभी पाठ समय से पढ़ लेना ठीक है।

राजू बोलता है अरे पापा परीक्षा में अभी 2 दिन बाकी है मैं झट से पढ़ लूंगा सब कुछ और जब तक खेलूंगा नहीं पढ़ाई समझ नहीं आएगी और ऐसा बोल कर वह बाहर निकल जाता है ।

बाहर खिड़की से देखता है कि लक्ष्मी पड़ रही है तो उसे भी बोलता है। तुम भी आ जाओ बाहर देखो कितना अच्छा मौसम है थोड़ी देर खेल लेते हैं और पढ़ाई तो बाद में भी कर सकते हैं झट से सब हो जाएगा। 

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लक्ष्मी बोलती है हां मौसम तो बहुत सुहाना है परंतु मुझे अपना पाठ याद करना है कल परीक्षा है राजू बोलता है इस मौसम में खेलने का मजा ही कुछ और है तुम पढ़ती रहो मैं तो चला खेलने कुछ समय बाद ..

सुहाना मौसम आंधी तूफान में बदलने लगा काले-काले बादल भी आसमान में आने लगे लक्ष्मी खिड़की से राजू को आवाज लगाती है लक्ष्मी को चिंता होने लगी की आंधी व बारिश की वजह से रात में बिजली ना रहे। शायद..

 वह राजू को बोलती है सुनो राजू आकर अपना पाठ पूरा कर लो अगर बिजली नहीं रही तो तुम पढ़ाई कैसे करोगे और फिर परीक्षा में क्या लिखोगे राजू बोलता है तुम चिंता मत करो लक्ष्मी अभी तो दोपहर है बिजली नहीं जाएगी और रात में मैं सब फटाफट तैयार कर लूंगा।

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 क्योंकि बारिश के बाद पढ़ने में और भी मजा आएगा अच्छा मैं जाता हूं मेरी बैटिंग आ गई है राजू देर शाम तक खेलता ही रहा है लेकिन उसकी चिंता तब बढ़ी जब अचानक से बारिश शुरू हो गई..

 राजू बुरी तरह घबरा गया और घर लौटा जब घर आया तो उसके घर में ही नहीं बल्कि पूरे गांव में ही बिजली नहीं थी यह देखकर राजू जोर जोर से रोने लगा और बोलता है कि कल परीक्षा में मेरा क्या होगा मैंने तो एक पाठ भी नहीं पढ़ा और अब तो बिजली भी नहीं है मैं तो फेल हो जाऊंगा...

तभी लक्ष्मी बोलती है मैंने कहा था ना अपना समय से पाठ पढ़ लो उसके बाद राजू के  पिताजी भी बोलते हैं मैंने भी तुम्हें एक हफ्ते पहले ही बोला था। कि समय पर पढ़ाई कर लेना लेकिन तुम्हें कभी कुछ भी समझ नहीं आता अब भोगो तभी राजू रोते हुए अपने पापा से माफी मांगते हुए बोलता है सॉरी पापा अब मैं क्या करूं।


 काश मैंने समय से  पाठ पढ़ लिया होता राजू को समझ आ गया था कि उसके लापरवाही के कारण उसके पास पढ़ने का समय बचा ही नहीं तभी लक्ष्मी बोलती है रोने से अब कुछ नहीं होगा।

 अब समझ आया कि सब तुम्हें क्यों समझाते थे पढ़ाई करो अब रोना बंद करो और चलो मेरे साथ मैंने अपनी पढ़ाई समय पर ही पूरी कर ली थी मैं तुम्हें सारा पाठ समझा दूंगी और याद भी करवा दूंगी चलो अगले दिन दोनों भाई बहन खुशी-खुशी परीक्षा देने गए।
                    
कहानी के अंत में सीख - इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सभी काम हमें समय से करना चाहिए ना कि कल पर छोड़ना चाहिए ।



लालच एक बुरी बला - लालच पर कहानी

3. लालच एक बुरी बला लालच पर कहानी

एक गांव में दो पड़ोसी रहते थे एक का नाम महेश और दूसरे का नाम सुरेश था। महेश बहुत चालाक और नकलची था सुरेश बहुत ही सीधा साधा और इमानदार और मेहनती व्यक्ति था ।

 और वह बहुत गरीब था सुरेश रोजाना लकड़ी काटने का काम करता था वह रोज जंगल में जाता और लकड़ियां काटता जो लकड़ी काटता उसे बाजार में बेचकर अपनी रोजाना की जीविका चलाता था। 

वहीं दूसरी ओर महेश महेश लोगों से उधार लेता और चोरी करता था। ओर दिन भर घर में पडा रहता था।

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सुरेश सुबह उठ कर नहा धोकर पूजा पाठ करके भगवान का नाम लेते हुए जंगल की ओर अपने कार्य पर निकल पड़ता है और लकड़ियां काटते हुए दोपहर हो जाता है उसे प्यास लगा तभी उससे थोड़ी दूर पर एक नदी दिखाई पड़ी उसने सोचा कि पानी पीकर थोड़ा विश्राम कर लेता हूं।

और नदी की ओर चल पड़ा नदी के पास पहुंचा कर जैसे ही पानी के लिए झुकता है उसका कुल्हाड़ी पानी में गिर जाता है कुल्हाड़ी के पानी में गिरते ही वह पानी ही पीना भूलकर  कुल्हाड़ी पानी में ढूंढने लगता है किंतु उसे कुल्हाड़ी उसे नहीं मिलती वह निराश होकर वही नदी के किनारे एक पत्थर पर बैठ कर रोने लगता है।

रोने की आवाज सुनकर पानी से एक परी निकलती है और सुरेश से  पूछती है क्या हुआ है तुम रो क्यों रहे हो सुरेश परी को सारी बातें बताता है परी बोलती है ठीक है तुम रोना बंद करो मैं तुम्हें तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढ कर देती हूं।

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परी पानी के अंदर जाती है और हीरे की कुल्हाड़ी निकालती है और सुरेश को देती है किंतु सुरेश लेने से मना कर देता है वह बोलता है कि यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है परी बोलती है अच्छा कोई बात नहीं ठहरो वह फिर पानी के अंदर जाती है और सोने की कुल्हाड़ी निकालती है।

सुरेश उसे भी मना कर देता है कि यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है और रोने लगता है फिर परी बोलती है अच्छा रुको फिर देखती हूं तीसरी बार वह चांदी की कुल्हाड़ी निकालती है सुरेश उसको उसे भी मना कर देता है और उसको लगता है कि उसकी कुल्हाड़ी नहीं मिल पाएगी और वह जोर - जोर से रोने लगता है। 

और बोलता है कि लगता है कि मुझे मेरी कुल्हाड़ी अब नहीं मिलेगी परी बोलती है कोई बात नहीं ठहरो मैं फिर से देखती हूं चौथी बार सुरेश की लकड़ी की कुल्हाड़ी परी पानी से लेकर निकलती है सुरेश के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई वह परी के चरणों में झुक कर हाथ जोड़कर धन्यवाद करता है। 


परी को सुरेश की ईमानदारी और मेहनत को देख कर बोलती है कि तुम्हें इतनी कीमती कुल्हाड़ी दिया तुमने मना क्यों कर दिया तुम चाहते तो किसी भी कुल्हाड़ी को अपनी कुलाहड़ी बता सकते थे। और लेकर उसे बेचकर पूरी जिंदगी आराम से काट सकते थे तो सुरेश परी से बोलता है कि मुझे मेरी मेहनत की कमाई से ही अपनी जीविका चलानी है बाकी तीन कुल्हाड़ी  मेरी नहीं थी वह किसी और की थी। 

वह मेरी कुल्हाड़ी नहीं थी जिस प्रकार मेरी कुल्हाड़ी पानी में खो जाने पर मुझे दुख हुआ उसी प्रकार वह भी किसी और की कुल्हाड़ीयां थीं।भला किसी और की कुल्हाड़ीयां  मैं कैसे ले सकता हूं

सुरेश की ईमानदारी को देखकर परी उससे उसके इमानदारी पर तीनों कुल्हाड़ी या उसे उपहार के रूप में दिया और बोली यह तुम्हारी इमानदारी का उपहार है ले लो सुरेश अपनी कुल्हाड़ी के साथ तीनों तीन और कुल्हाड़ी या लेकर अपने घर की ओर चल दिया रास्ते में उसे महेश मिला उसके हाथ में कुल्हाड़ी देखकर उसने पूछा तो सुरेश ने सारी घटना महेश को बताया।

 महेश के मन में लालच आया और वह भी एक लकड़ी की कुल्हाड़ी लेकर नदी के किनारे गया और नदी में गिरा दिया और रोने का नाटक करने लगा तभी रोने की आवाज सुनकर परी पानी से बाहर आई और पूछी क्यों रो रहे हो महेश ने बताया कि उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई 

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परी ने कहा रोना बंद करो मैं ढूंढ कर देती हूं परी ने महेश को लकड़ी की कुल्हाड़ी निकाला और दिया किंतु महेश में सुरेश के बताए अनुसार खुद की कुल्हाड़ी ही को ही पहचानने से इंकार कर दिया।

 परी ने एक साथ चार कुल्हाड़ी या पानी से निकाला और बोली इनमें से जो तुम्हारी हो ले लो महेश को लालच आ गया और बोला यह लकड़ी वाली कुल्हाड़ी को छोड़कर तीनों मेरी कुल्हाड़ीयां है परी को महेश के लालच की वजह से गुस्सा आ गया और वह बोली तुमने झूठ बोला है इसलिए अब तुम्हें लकड़ी वाली कुल्हाड़ी भी नहीं मिलेगी।

 इतना बोलते ही बोल कर पानी में गायब हो गई महेश को अपनी गलती और लालच का एहसास हुआ और उसने निश्चय किया कि अब वह कभी जीवन में लालच नहीं करेगा और अपनी मेहनत से अपना जीवन चलाएगा।

कहानी से शिक्षा - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आए परंतु लालच नहीं करनी चाहिए। 



प्यारी दादी मां और उनके दो पोते

4. प्यारी दादी मां और उनके दो पोते

एक गांव में विमला नाम की बूढ़ी दादी मां रहती थी। अपने दो पोतो के साथ  रहती थी। दादी मां दोनों से बेहद प्यार करती थी। जिनका नाम रोहन और मोहन था। रोहन हमेशा दादी मां की हर बात मानता था। और उनका आदर सम्मान करता था। 

और वही मोहन कभी भी दादी मां की कोई बात नहीं मानता था और ना ही दादी मां का आदर और सम्मान करता था। रोहन उसे हमेशा समझाता कि हमें बड़े बूढ़ों की बात माननी चाहिए और आदर सम्मान भी करना चाहिए। लेकिन मोहन को रोहन की कोई भी बातों से कोई बदलाव प्रभाव नहीं हुआ। एक दिन दादी मां की अचानक से तबीयत खराब हो गई।


तभी रोहन, दादी मां को जड़ी बूटियां पिलाकर उन्हें आराम करने के लिए बोल देता है। और उसी दिन मोहन को कुछ पैसों की जरूरत पड़ जाती है जो दादी मा ही उसे दे सकती थी।

लेकिन उस दिन दादी मां बहुत बीमार थी। तभी मोहन, रोहन के पास जाता और उससे पैसे मांगता तो रोहान पैसे देने से इंकार कर देता है। और दादी मां मोहन और रोहन की सारी बातें सुन लेती है। फिर वह मोहन को बुलाती हैं और कहती हैं कि बेटा मोहन पैसे संदूक में है जा ले ले। 

मोहन तुरंत संदूक खोल कर पैसे लेता है। तभी रोहन बोल पड़ता है, देखा दादी मां बीमार होने के कारण भी तेरी चिंता करती है। लेकिन तुम उनकी थोड़ी भी परवाह नहीं करते। यह सब सुनकर मोहन को अपनी गलती का पछतावा हुआ और वह रोते हुए दादी मां को गले लगाकर माफी भी मांगा है। दादी मां खुश हुई और उस घर में तीनो लोग खुशी-खुशी रहने लगे। 

कहानी से शिक्षा - हमें कहानी से या शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अपने बड़े बूढ़ों का आदर और सम्मान करनी चाहिए उनकी हर बात माननी चाहिए तभी हम जिंदगी में आगे बढ़ सकते हैं।

1 Comments

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