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अगर आप एक बच्चे हैं और इस कहानी को पढ़ रहे हैं तो इस कहानी से प्राप्त ज्ञान को धारण करिए और आगे भी ऐसे ही कहानियां पढ़ते रहिए ताकि आपको अच्छी अच्छी ज्ञान प्राप्त हो हमेशा की तरह हमने इस कहानी का भी पीडीएफ फाइल कहानी के आखिरी में दिया है उसे डाउनलोड करें और आराम से बैठकर सबके साथ पढ़े। 


पंचतंत्र की कहानियां


बसंत पंचमी का दिन था दादी और मम्मी पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती का पूजन कर रहे थे। गट्टू और चिंकी भी पूजा में शामिल थे। और तभी उनकी दादी उनसे कहती है कि - गाट्टू चिंकी, मां सरस्वती विद्या की देवता है। इन्हें पूज कर अच्छे से पढ़ोगे तो विद्वान बनोगे। 


दादी आप हर त्यौहार की कहानी सुनाती हैं तो बसंत पंचमी की भी कोई कहानी होगी ही न। तभी उनकी दादी कहती है। हा, बिल्कुल मेरे प्यारे बच्चो। बसंत पंचमी की भी कहानी है। चलो सुनाती हु। 


तभी दादी कहानी सुनाना शुरू करती है कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया। पेड़,पौधे, नदी,  तालाब, पशु, पक्षी और जानवरों के साथ साथ इंसान बनाया। तो इनमे से किसी के पास भी आवाज नहीं थी। 


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सब कुछ शांत शांत था पूरा ब्रह्मांड शांत शांत था। तभी गटटू बोलता है कि मतलब सब कुछ म्यूट था। और जवाब में दादी बोलती है। हा, मेरे बच्चे तुम्हारी भाषा में कहें तो सब कुछ म्यूट था।


तभी ब्रह्मा जी को लगा कि यह क्या बिना आवाज के तो मजा ही नहीं आ रहा है। सब कुछ शांत शांत हैं। आवाज तो चाहिए। फिर उन्होंने विष्णु जी का स्मरण किया। तभी चिंकी दादी से पूछती है की, तो क्या विष्णु जी ने सृष्टि को साउंड दिया?


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तभी दादी कहती हैं, अरे सुनो तो विष्णु जी आए तो ब्रह्मा जी ने उन्हें अपनी दुविधा बताई। फिर विष्णु जी ने माता दुर्गा को याद किया। दुर्गा माता आई उन्हें भी समस्या का पता चला। तभी उनके शरीर से दिव्य तेज प्रकट हुआ। 


और चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। तभी गटटू कहता है कि, ओह्ह अब हुई सरस्वती माता की एंट्री। तभी उससे दादी कहती है कि हा। तभी सरस्वती माता प्रकट हुई। तो उनकी एक हाथ में थी वीणा, एक हाथ वर मुद्रा में थे, एक हाथ में माला थी और एक हाथ में पुस्तिका। 


सरस्वती माता ने वीणा बजाई और तभी सृष्टि को आवाज प्राप्त हुई। चिड़िया चहकने लगी, शेर दहाड़ ने लगा और इंसान बोलने लगा। तभी दादी बच्चों से कहती हैं कि यह थी सरस्वती माता की कहानी। 


सरस्वती माता बसंत पंचमी


माना जाता है कि आज के ही दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थी इसलिए आज के दिन उनका पूजन होता है तभी चिंकी कहती है मतलब आज सरस्वती माता का बर्थडे है और दादी हंस कर बोलती हैं बिल्कुल तुम्हारे भाषा में यह बर्थडे है। 


और बच्चों को बताती हैं कि सरस्वती माता गायन वादन और असंख्य कला विद्या जानती हैं। इसलिए अगर तुम उन्हें प्रसन्न करोगे तो तुम भी कला विद्या से संपन्न हो जाओगे। जैसे ही दादी की बातें खत्म होती है वैसे ही गट्टू चिंकी की मम्मी ने उनसे कहा। 


गट्टू चिंकी की तुम्हारे किताबें और नोटबुक लेकर आओ हम उनकी भी पूजा करेंगे। गट्टू और चिंकी अपने कमरों से अपनी किताबें और नोटबुक लेकर आए। तभी दादी ने कहा कि तुम दोनों अपने अपने शस्त्र लेकर आ गए। 


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तभी चिंकी कहती है कि दादी यह शस्त्र थोड़ी है यह तो किताबें हैं अभी दादी पिंकी से कहती हैं कि अरे जिन चीजों पर हम सबसे ज्यादा निर्भर होते हैं वही हमारा शस्त्र होता है। 


जैसे सैनिक अपने बंदूक पर डिपेंड होते हैं ठीक वैसे ही विद्यार्थी अपने किताबों पर डिपेंड होता है। इसलिए किताब ही विद्यार्थी का शस्त्र होता है इसी कारण विद्यार्थी को अपने शस्त्र का ख्याल रखना चाहिए। 


बसंत पंचमी पर निबंध


तभी दादी का ध्यान चिंकी और गट्टू की किताबों पर पड़ा और उन्होंने बोला कि तुम दोनों अपनी किताब है जरा मुझे देना तो। गट्टू और चिंकी ने अपनी किताब दादी को दी। और जैसे ही दादी ने किताबों को खोलकर देखा तो उन्होंने देखा कि गट्टू और चिंकी ने अपने किताबों के चित्र को ही बदल दिया था। 


किसी औरत को लंबी मुछे बना दिया था तो किसी आदमी के लंबे बाल कर दिए थे। दोनों के किताबों की अवस्था देखकर दादी दुखी हो गई और उनसे बोली की यह सब क्या है गट्टू और चिंकी तुम्हारे किताबें ऐसे कैसे हैं?


तुम दोनों ने तो अपने शस्त्र खराब कर दिए किताबे जितनी साफ और सुंदर होती हैं उतना अधिक ही उन्हें पढ़ने का मन करता है किताबे खराब करोगे तो माता सरस्वती कैसे प्रसन्न होगी। 


तुम्हें विद्वान कैसे बनाएंगी और यह क्या एक भी किताब पर कवर नहीं है। इसलिए किताबें फट रही है। रात का वक़्त था दादी अपने कमरे में बैठकर माला जप रही थी। तभी गट्टू और चिंकी अपने किताबें लेकर दादी के कमरे में आए।


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दादी ने आंखें खोल कर उनकी तरफ देखा तो चिंकी कहने लगी यह देखिए दादी हमने अपने किताबों को कवर भी लगाए और सारे खराब किए चित्रों को दुरुस्त भी कर दिया। दादी ने किताबों को खोल कर देखा तो वह सच में पहले से स्वच्छ और सुंदर लग रही थी। 


यह देखकर दादी खुश हो गई थी और बोली यह हुई ना बात आगे से ध्यान रखना। कभी भी ऐसी हरकतें ना करना किताबों को हमेशा साफ रखना और उन पर कब रखना ताकि वह फटे ना। आज सरस्वती माता तुम पर प्रसन्न है। 


खूब पढ़ो लिखो और विद्या संपन्न बनो फिर क्या था गट्टू और चिंकी ने दाती के पैरों पर माथा टेका और सरस्वती माता के साथ-साथ दादी का भी आशीर्वाद प्राप्त किया। और फिर वह दोनों सोने चले गए।


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