रक्षाबंधन पर निबंध 2021 सरल और महत्वपूर्ण ज्ञान [HINDI PDF] प्रिय पाठक हम आशा करते है की आप सभी स्वास्थ्य एवं सुरक्षित होंगे और आप हमारी वेबसाइट (moralstoryhub) पर अनेक प्रकार की मोरल स्टोरीज इन हिंदी एवं अन्य प्रकार के हिंदी निबंधों का आननद ले रहे होंगे। हमेशा की तरह आज फिर हम "रक्षा बंधन पर निबंध इन हिंदी" (rakshabandhan par nibandh in hindi) लेके आये है। 


रक्षाबंधन पर निबंध 2021
रक्षाबंधन पर निबंध 2021

आज के इस पोस्ट में हमने विभिन्न प्रकार के विषयो को कवर करने की कोशिस की है जो निम्न है ताकि आप को निबंध के साथ साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारिया भी प्राप्त हो सके। विषय जैसे:-

  • रक्षाबंधन पर निबंध 10 लाइन हिंदी में (Raksha Bandhan par nibandh 10 line)
  • रक्षा बंधन पर निबंध for class 5 hindi 
  • रक्षा बंधन पर निबंध इन हिंदी
  • रक्षाबंधन कब है? (rakshabandhan kab hai)
  • रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
  • रक्षाबंधन से जुडी पैराणिक कहानी
  • रक्षाबंधन पर नैतिक कहानिया 

और हमेशा की तरह हम इस पोस्ट का पीडीऍफ़ (PDF) फाइल भी DOWNLAOD  के लिए पोस्ट के अंत में मौजूद है. तकि आप डाउनलोड करके भी कहानी या निबंध को आराम से बाद में कभी भी पढ़ सकते है। 


रक्षाबंधन पर 10 लाइनों का निबंध

रक्षाबंधन पर निबंध 10 लाइन हिंदी में

  1. रक्षाबंधन भाई और बहनो के प्यारे  रिश्तों का त्यौहार है यह पर्व भाई बहनों के पवित्र रिश्ते के स्नेह का प्रतीक है। 
  2. यह सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  3.  इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना व दुआ करती है और भाई भी उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं और अपने से छोटी बहनों को प्यारे-प्यारे गिफ्ट भी देते हैं।
  4.  रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा का बंधन।
  5. राखी सूत के धागों से लेकर सोने जैसी महंगी धातुओं की भी बनी हो सकती है।
  6. घरों में राखी वाले दिन तरह-तरह के व्यंजन व मिठाईयां बनाए जाते हैं और बाजार से मिठाइयां भी मंगवाई जाती है।
  7. रक्षाबंधन बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े भी अपनी बहनों के हाथों से बंधवाते हैं और अपनी बहनों को वचन देते हैं कि वह अपनी बहनों की हमेशा रक्षा करेंगे।
  8. रक्षाबंधन पर लोग पेड़ों पर भी लोग पेड़ों की रक्षा के लिए उन पर रक्षा बंधन बनते हैं। 
  9. इस इस दिन महिलाओं की यात्रा के लिए सरकार किराया मुक्त वाहन भी सड़क पर चलवाती है जिससे महिलाओं को यात्रा करने में कोई समस्या ना हो।
  10. जो महिलाएं किसी कारण वश अपने भाइयों को राखी बांधने नहीं पहुंच पाती वह राखी कोरियर भी करती है इसके लिए स्पेशल लिफाफा बनाए गए हैं जिसके माध्यम से वह एक से अधिक राखी लिफाफे में रखकर पोस्ट कर देती है।

रक्षाबंधन का वर्णन 

इस दिन बहने आरती की थाली में मिठाई व राखी रखकर भाइयों को तिलक लगाकर अपने भाइयों को राखी बांधती है और अपने भाइयों से वचन लेती हैं कि वह उनकी रक्षा करेंगे भाई अपने बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। 

यह त्यौहार  त्यौहार भाई बहन के त्यौहार को बहुत मधुर बना देता है रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है इस त्यौहार में जाति-पात का भेदभाव नहीं किया जाता सब बहुत हर्ष और उल्लास के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं यह त्यौहार भाइयों को बहनों के प्रति उसका कर्त्तव्य  को याद दिलाता है 


रक्षाबंधन का राजा बलि से संबंध

रक्षाबंधन का राजा बलि से संबंध

रक्षाबंधन का राखी का त्यौहार लगभग कब से शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता लेकिन कथाओं के आधार पर हजारों साल पहले राखी बांधने का प्रचलन शुरू हुआ था सबसे पहले रक्षा सूत्र राजा बलि को बांधा गया था।

राजा बलि को माता लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बनाया था स्कंद पुराण पद्म पुराण और श्रीमद भगवत में वामन अवतार नामक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है रक्षाबंधन का उल्लेख पाया गया है।

राजा बलि ने जब (१००) सौ यज्ञ करके जब स्वर्ग के  राज्य को छीनना  चाहा तो देवराज इंद्र भयभीत होकर सहायता के लिए भगवान श्री विष्णु के पास सहायता के लिए जाकर के प्रार्थना करने लगे हे प्रभु इस संकट से हमारी रक्षा कीजिए।

तब भगवान विष्णु वामन अवतार धारण करके राजा बलि के सम्मुख पहुंचे और यज्ञ के नाम से तीन पग जमीन मांग ली और उनकी मांग सुनकर के राजा बलि भी दान देने के लिए संकल्पित हुए।

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और भगवान ने दो पग में ही पूरे ब्रह्मांड को नाप लिया और तीसरा पग के लिए उन्होंने राजा बलि से कहा लेकिन राजा बलि के पास तब तक कुछ भी नहीं रहा क्योंकि पूरे ब्रह्मांड को भगवान नाप चुके थे इस पर राजा बलि समझ चुके थे कि यह वामन रूप में दिखाई देने वाले कोई साधारण भिखारी नहीं हो सकते हैं। 

यह जरूर कोई महापुरुष हैं या कोई भगवान या कोई देव है तब वे तीसरे पग को राजा बलि ने अपने सर पर रखने को कहा और वामन रूप धारण किए हुए भगवान विष्णु के सामने अपने सिर झुका दिए इस पर भगवान विष्णु राजा बलि के भक्ति से प्रसन्न हो गए।

और राजा बलि को वरदान मांगने को कहा लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि राजा बलि को वरदान मांगने को बोलकर वह स्वयं फसने वाले हैं और ऐसा मौका पाकर राजा बलि ने यह मांग लिया है प्रभु आप दिन और रात मेरे द्वार पर ही द्वारपाल बनकर खड़े रहे जिससे मैं आते-जाते सदैव आपको देखता रहूं आपकी दर्शन करता रहूं।

ऐसी स्थिति में भगवान राजा बलि के पहरेदार बन गए और काफी दिनों तक माता लक्ष्मी के पास लौट कर नहीं आए तो माता लक्ष्मी चिंतित होकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर के अपना भाई बना ली माता लक्ष्मी राजा बलि से उपहार स्वरूप अपने पति भगवान विष्णु को मांग ली।

 इस तरह से भगवान विष्णु वहां से मुक्त हुए उस दिन स्वर्ण मास की पूर्णिमा थी। तभी से लेकर अब तक बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा बंधन स्वरूप रक्षा के रूप में राखी बांधती है और बदले में कोई ना कोई उपहार लेती है और साथ ही भाई से अपने रक्षा का वचन भी लेती हैं यही कारण है जब रक्षा बन्धन पर राखी बंधवाते समय जो मंत्र पढ़ा जाता है तो उसमे राजा बलि को याद किया जाता है। 

रक्षा बंधन मंत्र संस्कृत

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल माचल:।।


रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन का महाभारत  व  भगवान श्री कृष्ण से संबंध

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का इतिहास हमें महाभारत काल से मिलता आ रहा है भगवान श्री कृष्ण की चाची श्रुति देवी नाम की उनकी  एक चाची भी थी। उन्होंने शिशुपाल नाम के एक विकृत बालक को जन्म दिया था ।

बड़ों से यह पता चलता है कि  जिसके स्पर्श से शिशुपाल ठीक होगा उसी के हाथों से शिशुपाल की मृत्यु भी होगी एक बार श्री कृष्ण अपने चाची के घर मिलने आए थे और जैसे ही श्रुति देवी ने अपने बच्चे को श्रीकृष्ण के हाथ में दिया वह एकदम ठीक हो गया ।

कुछ छड़ के  तब से श्रुति देव भी अपने बालक के बदलाव को देखकर बहुत खुश हो गई और उसकी मृत्यु श्री कृष्ण के हाथों से होगी यह सोचकर बहुत विचलित हो गई हो श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी और बोली भले ही शिशुपाल कितनी भी गलती कर दी पर उससे भगवान श्री कृष्ण के हाथों से सजा नहीं मिलनी चाहिए ।

भगवान श्री कृष्ण वादा करते हैं कि उसकी गलती माफ कर देंगे परंतु उसने अगर 100 गलती से अधिक गलती की तो मैं उसकी गलती माफ नहीं करूंगा शिशुपाल बड़ा होकर चिड़ी नामक राज्य का राजा भी बना गया शिशुपाल बहुत क्रूरूर था और भगवान श्री कृष्ण के रिश्ते दार भी शिशुपाल अपने क्रूरूता के कारण अपने राज्य के लोगों को भी बहुत परेशान करता था ।

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और बार-बार भगवान श्री कृष्ण का भी अपमान करता था लेकिन एक बार तो उसने हद ही कर दिया जब शिशुपाल ने भगवान श्री कृष्ण का भरी सभा में अपमान कर दिया और बहुत निंदा की परंतु उसने इस बार उसने 100 गलतियों का आंकड़ा पार कर दिया था 100 गलतियों का कड़ा पार होते ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल के ऊपर प्रहार कर दिया। 

भगवान श्री कृष्ण के अनेक चुनौतियों के बाद भी शिशुपाल ने अपने गुण नहीं बदले जिसके कारण अंत में से अपने प्राण त्याग में पड़े हैं भगवान श्री कृष्ण जब क्रोध में सुदर्शन चक्र छोड़ रहे थे तो उन्हें तर्जनी उंगली में भी लग गई थी जिसमें से खून बहने लगा था ।

इस दृश्य को देखकर वहां पर खड़े सभी लोग भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांधने के लिए इधर-उधर भागने लगे परंतु वहां पर खड़ी द्रोपदी ने बिना कुछ सोचे समझे बिना समय गवाएं अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण के उंगली पर बांध देती है जिससे भगवान श्री कृष्ण की उंगली से बहते हुए खून रुक जाते हैं ।

तो भगवान श्री कृष्ण बोलते हैं शुक्रिया मेरी प्यारी बहन तुमने मेरी दु:ख में साथ दिया है तो मैं तुम्हारे काम आऊंगा यह कहकर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनके रक्षा करने का आश्वासन दिया था और इस घटना से रक्षाबंधन का पर्व प्रारंभ हुआ था।

और जब कौरवो ने भरी राज्यसभा में द्रोपदी का साड़ी खींचकर उसका अपमान करने का प्रयास किया था तो भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को चीरहरण से बचाकर अपना वादा पूरा किया था ।

और तब से बहने अपने भाइयों के कलाई पर तब से लेकर आज तक अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा बंधन के पर्व पर राखी बंधती है और बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का आश्वासन देते आ रहे हैं।


रक्षा बन्धन पर कहानी | राजा रायचंद्र 

रक्षा बन्धन पर कहानी | राजा रायचंद्र

कुशीनगर नाम का छोटा सा राज्य था वहां रायचंद्र नाम के एक राजा थे और उनकी रानी का नाम इंदुमती था राजा बहुत दयालु थे और हमेशा न्याय का साथ देते थे लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे  राजा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम चंद्रमणि रखा गया था।

एक दिन राजा के महल के बाहर एक गरीब महिला अपनी छोटी सी बच्ची को गोद में लेकर मदद की गुहार लगा रही थी तभी सिपाही राजा के पास जाकर बोलते हैं महराजा बाहर एक स्त्री छोटी बच्ची के साथ मदद की गुहार लगा रही है।

इतना सुनते ही महराजा उसे दरबार में पेस करने का हुक्म देते हैं सिपाही स्त्री को ले जाते हैं महाराज उसे पूछते हैं आपका नाम क्या है और कैसी मदद चहिए स्त्री अपना नाम कमला बताती है और राजा पूछते हैं हम आपकी कैसी मदद कर सकते हैं कमला बोलती है

महराज मुझे कुछ काम चहिए मेरी छोटी सी बच्ची दो दिन से भूखी है मेरे पति के गुजर जाने के बाद हमारा इस दुनियां में कोई नही हम किराए के घर में ही रहते थे जब तक मेरे पति थे हमारा परिवार सुखी था उनके जाने के बाद किराया न दे पाने के कारण मकान मालिक ने हमे निकाल दिया जो समान था उसे माकन मालिक ने किराये के रूप में रख लिया।

इसलिय मैं काम के तलाश में मै कई जगह गई परन्तु मुझे कोई काम नही मिला राजा और रानी को कमला और उसकी नन्ही सी बच्ची पर दया आ जाता है महराजा सिपाहियों को हुक्म देते हैं कि महल में ही दोनो का रहेने की व्यवस्था की जाए कमला महाराजा से बोलती है मैं यह एहसान कभी नही भूलुंगी।

सिपाही दोनो मां बेटी के रहने की व्यवस्था करते हैं राजा कमला को बोलते हैं आप यहां आराम से रह सकती हैं कमला बोलती है महराज मैं यहां जब तक रहुंगी कुछ काम भी करना चाहती हूं मुफ्त में मैं नहीं रहना चाहती राजा और रानी कमला के खुद्दारी को देखकर बोलते हैं।

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ठीक है हमारा भी छोटे से राजकुमार हैं अपनी बेटी के साथ साथ छोटे राजकुमार का भी ख्याल रखना है आज से आपको राजकुमार की जिम्मेदारी आपकी की है महारानी कमला की बेटी का नाम पूछती हैं कमला बोलती है।

रानी साहिबा मैंने अभी इसका कोई नाम नही रखा महारानी मुस्कुरा कर बोलती हैं की अच्छा कोई बात नही अगर आपको खुशी हो तो मैं इस प्यारी सी नन्ही सी बच्ची का नाम इंदु रखना चाहती हूं। कमला बहुत खुश होती है और बोलती है रानी साहिबा आज से इसे इंदु ही बुलाऊंगी और अपने बेटी के साथ साथ राजकुमार की भी परवरिश करने लगती है।

धीरे धीरे दोनों बड़े होने लगते हैं राजा साहब और रानी साहिबा दोनों बच्चों को बराबर का प्यार देते इंदु को तो अपनी बेटी की तरह प्यार करती थी रानी साहिबा और कमला चंद्रमणि को अपनी मां कीतना ही प्यार करते थे दोनों साथ में पले बड़े होने के कारण इंदु को अपनी छोटी बहन मानते थे। लगता ही नही था की इंदु नौकरानी की बेटी है।

चंद्रमणि भी बहुत समझदार और संस्कारी था बड़ों की इज्जत करता और अपने पिता की सारी बात मानता था और हर रक्षा बंधन के त्यौहार पर इंदु चंद्रमणि को राखी बांधती थी महाराजा कमला को बहन मानते थे इसलिए वो भी कमला से राखी बंधवाते थे ।

धीरे धीरे दोनो बच्चे इतने बड़े हो गए की दोनों की शादी का टाइम आ गया महाराजा और महारानी ने इंदु की शादी की बात  कमला से करते हैं बोलते की अब हमारी इंदु बडी हो गई है अगर आपकी इजाजत हो तो इंदु की रिश्ते की बात किया जाए।

 इतना सुनते ही कमला के आंखों में आंसू आ गए और बोली मुझसे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है महाराज इंदु आपकी ही बेटी है आप जहां चाहे जैसा चाहे वही रिश्ता होगा। जब इंदु की शादी की बात चल रही थी तभी चंद्रमणी वही पास से गुजर रहे थे जब अपनी बहन की शादी की बात सुना तो दुःखी हो गाए।

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क्योंकि राजकुमार आपनी मुंह बोली  बहन इंदु से बहुत प्यार करते थे उसे अपने आंखों से एक पल के लिए ओझल नहीं होने देते थे। अब उसके दूर जाने की बात से वह बहुत दुखी हो गए और खाना पीना भी छोड़ दिया जब महराज को यह बात पता चली तो वह राजकुमार को समझाने गए परन्तु वो कुछ सुनने को तैयार नहीं थे।

इस बात से महराज भी बहुत दुखी थे की इंदु शादी के बाद कहीं और चली जायेगी इंदु से सभी को बहुत लगाव था फिर किसी तरह कमला चंद्रमणि को समझाती है जब इंदु की शादी की बात पता चली तो वो रोने लगी कमला सोचती है की शादी होने के बाद सब ठीक हो जायेगा इंदु का रिश्ता पास के गांव के जमीदार के बेटे राघव से तय किया जाता है और दोनो की शादी कर दिया जाता है।

राघव भी बहुत अच्छा लडका था वह इंदु को बहुत प्यार करता था और हर तीज त्यौहार में उसके भाई चंद्रमणि और पूरे परिवार से मिलवाने ले जाता और हर रक्षाबंधन में राखी बांधने भी जाती थी और अपने भाई को तिलक लगाकर कलाई में राखी बांधती थी और उसका भाई अपने बहन की रक्षा करने का वचन देते थे दोनो भाई बहन का प्यार देखकर सब बहुत खुश होते थे।

रक्षा बन्धन पर कहानी | लव - कुश और रक्षाबंधन 

रक्षा बन्धन पर कहानी | लव - कुश और रक्षाबंधन 

रक्षा बन्धन  भाई बहन का बहुत महत्त्वपूर्ण त्यौहार है आज हम रक्षा बंधन पर दूसरी कहनी ले आएं है इस कहनी को पढ़े और कहनी से जुड़ी शिक्षा प्रात करे 

शांतिपुरम नाम का एक नगर था वहां एक गरीब परिवार रहता था जिसमे मोहन उसकी पत्नी और दो बेटे रहते थे मोहन के एक बेटे का नाम  लव और दूसरे बेटे का नाम कुश था मोहन  बहुत गरीब था

वह सिर्फ अपने बच्चो के खाने और उनके पढाई के ही पैसे जुटा पाते थे उनके दोनो बेटे अपने घर की पुरी स्थिति बहुत अच्छे से समझते थे बेचारे बच्चे कभी किसी चीज की जिद्द नही करते थे जो मिलता उसी में खुश रहते थे 

दोनो बच्चे स्कूल जाते है स्कूल में टीचर बोलती है कल रक्षा बंधन है इसलिए मैं आज आप सभी को रक्षा बंधन पर दस लाइन की निबंध लिखने का गृहकार्य देती हूं कल सारे बच्चे समय से स्कूल आएंगे और अपना अपना काम पूरा करके आएंगे कल सारे लड़के अपनी कक्षा के लडकियों को राखी बंधेगे ।

लव और कुश भी बहुत खुश होते हैं की कल स्कूल में कुछ स्पेशल होगा दूसरे दिन जब स्कूल जाते हैं तो अपना गृह कार्य चेक करवाते और उसके टीचर बोलती है की अपने लिए सभी लोग एक एक बहन चुन कर कल  बाहर ग्राउंड में आ जाना सारा प्रोग्राम वहीं होगा। 

सबने अपने लिए बहन चुन लिया परन्तु लव और कुश की बहन बनने कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि उन दोनों के पास किसी भी लड़की को कुछ भी देने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए उनकी बहन कोई बनने को तैयार नहीं हुई।

टीचर सभी को बाहर बुलाती हैं और बोलती है कौन किसकी बहन बनी है रजिस्टर में नाम लिखवा दो लव और कुश बहुत उदास और रोने जैसा चेहरा था  टीचर ने दोनो से पुछा आप दोनो की बहन कौन बनी तो उसी कक्षा का एक लड़का हंस कर बोलता है टीचर इनकी कोई बहन बनने को कोई तैयार नहीं है क्योंकि ये गरीब है।

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तो टीचर बोलती ये कैसी बात कर रहे हो बच्चों गलत बात है राखी पैसों के लिए नही बल्कि भाई बहन का प्यार होता मजबूत होता है इसीलिए मनाया जाता है टीचर क्लास की रीना और मीनाक्षी को लव और कुश की बहन बनने को बोलती हैं लेकीन दोनो उनकी बहने बनने से मना कर देती है और बोलती हैं 

इनके पास क्या जो इनकी बहने बने हम इतना सुनकर लव और कुश बोलते हैं कोई बात नही टीचर जाने दीजिए इतना बोलकर दोनो उदास होकर क्लास में बैठ जाते हैं और छुट्टी होते ही घर जाकर अपनी मां से सारी बातें बताते हैं ।

उनकी मां बोलती है कोई बात नही बच्चो उदास नही होते तभी कुश बोलता है काश हमारी भी बहन होती उसे मैं बहुत सारा प्यार करता कुश की बात सुनकर उदास होकर घर के बाहर जाकर बैठ जाता है और रोने लगता है तभी वहां से एक राजा साधरण भेष भूषा में गुजर रहे थे।

लव को रोते देखकर वो लव के पास आते हैं और उसे पुछते है की तुम क्यों रो रहे हो तुम्हरा नाम क्या है लव अपना नाम बताता है और बोलता है की हमारी कोई बहन नही है और स्कूल में कोई भी हमारे से राखी नही बांधा रहा क्योंकि हमारे पास उन्हे देने के लिए अच्छे अच्छे गिफ्ट और पैसे नहीं हैं।

राजा भी चिन्तित थे क्योंकि उनकी राजकुमारी को राखी बांधनी थी परन्तु उनका कोई भाई नही था इसलिए महराज महल से बाहर आए थे लव की बात सुनकर राजा की चिन्ता खत्म हो गई और उस समय वो बिना कुछ बोले वहां से चले जाते हैं दूसरे दिन लव और कुश दोनो उदास होकर बैठे थे तभी महराज अपनी पुत्री राजकुमारी को लेकर लव और कुश के घर साधारण भेष भूषा में पहुंच जाते हैं । ताकि किसी को पता न चले की वो कोई राजकुमारी हैं।

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महराज को देखकर लव बोलता है अरे काका आप यहां और ये साथ में आपके कौन हैं महाराज बोलते हैं  हां बेटा ये मेरी बेटी है और इसका भी कोई भाई नही है तो मेरी बेटी को राखी बांधोगे आप दोनो लव कुश इतना सुनते ही उछल पड़ते। 

लेकीन थोडी देर में उन्हे याद आता है की उनके पास उनकी बेटी को देने के लिए कुछ भी नही है महराज पुछते है अभी तो आप दोनो बहुत खुश थे फिर आचनक से क्या हो गया लव कुश बोलते हैं काका हमारे पास तो कुछ भी नही है छोटी को देने के लिए।

तभी राजकुमारी बोलती हैं की इतना सारा प्यार तो मिलेगा और दो दो भाइयां भी तो मुझे मिल रहे हैं और मुझे कुछ नहीं चाहिए लव कुश दोनो राजकुमारी को राखी बांधते हैं और मिठाई खिलाती है। और दोनो भाई अपनी छोटी बहन को वाचन देते कि पुरी जीवन वो अपनी बहन की रक्षा करेंगे। ये सुनकर महाराज बहुत प्रसन्न होते हैं।

लव कुश और उनके माता पिता को बिल्कुल नही पता था की वो कोई राजकुमारी थी। महराज लव कुश के माता से इजाजत लेते हैं की दोनो बच्चो को मैं अपने घर ले जाना चाहता हूं शाम तक छोड़ दूंगा अगर आपकी इजाजत हो तो उनकी मां दोनो को जाने की इजाजत दे देती है दोनो राजकुमारी का हाथ पकड़कर कर चल देते हैं 

वहां पहुंचकर जब बदले भेष भूषा में महराज अपने महल में प्रवेश करते है तो लव कुश थोडा डर जाते हैं महराज बोलते हैं डरो नही मेरे बहादुर बच्चो ये आपका ही घर है जाओ तीनो मिलकर खेलो जब दोनो को पता चलता है कि वो कोई साधरण आदमी नही बल्कि यहां के राजा थे राजकुमारी के महल को देखकर आचंभव में पड़ जाते है।

और महराज से बोलते हैं हमे माफ कर दीजिए महराज हम आपको पहचान नही पाए दोनो बच्चो के मुंह से महाराज सुनकर राजा बोलते हैं राजकुमारी को आप दोनो बहन मानते हो न तो मै आप दोनो का महराज नही बल्कि काका ही हूं तो आज के बाद से आप दोनो मुझे काका ही बोलोगे अब जाओ तीनो मिलकर खेलो शाम को आप दोनो को घर भी तो जाना है।

लव कुश का घर बहुत छोटा था इतना बड़ा महल देखकर दोनो हैरान थे जब शाम को लव कुश को महाराज छोड़ने गाए तो ढेर सारा गिफ्ट और दोनो के लिए अच्छे अच्छे कपड़े पहनाकर भेजा दोनो घर आकर। 

अपनी मां को सारी बात बताते हैं की काका कोई साधरण आदमी नही बल्कि महराज ही काका हैं उन दोनो की बात पर यकीन नहीं करती क्योंकि वो बहुत साधरण भेष में थे उन्हे लगा की उनकी बेटी को राखी बांधा इसलिए उन्होने गिफ्ट और कपड़े दिला दिया इसलिए बच्चे ऐसे बोल रहे हैं।

थोड़े दिन बाद महराज ने लव कुश के माता पिता और दोनो बच्चो को घर बुलाते है वहां पहुंचकर उनकी मां को यकीन नहीं होता की ये सब सच है। लव कुश की मां महराज से पूछती की महराज आपको भेष बदलकर आने की क्या जरूरत थी अगर आपने ऐसे ही आदेश दिया होता। 

तो हम अपने बच्चो को भेज देते इस बात पर महाराज बोलते हैं नगर में तो बहुत सारे बच्चे थे ऐसे में हमे पता कैसे चलता की किस बच्चे को सच में एक बहन की जरूरत है इसलिए हमे नगर में भेष बदलकर आना पड़ा और लव कुश के संस्कार हमे बहुत अच्छा लगा।

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दूसरी ओर अपने सिपाहीयों को आदेश देते हैं की उनके लिए बहुत प्यारा सा घर बनवा दे और उसमे जरूरत की सभी सामन रखवा देते हैं और उसके बाद लव कुश के माता पिता को भी आदेश देते हैं की ये आज से आपका ही घर है आप सभी इसमें खुशी खुशी रहा सकते है।

और महराज बोलते हैं की यह कोई मैं आप लोगों पर एहसान नही कर रहा बल्कि खुद के लिए ही कर रहा हूं हमारी राजककुमारी बहुत खुश रहती है।

लव कुश के साथ और यहां रहने के लिए कोई महराजा नही बल्कि ये एक पिता की विनती है हमारी विनती समझ कर ये तॉफा स्वीकार कर लीजिए क्योंकि महारानी के गुजार जाने के बाद राजकुमारी हंसना जैसे भूल ही गई थी। 

बच्चों के साथ बहुत खुश रहती हैं इसलिए मैं चहता हूं आप सभी मेरा परिवार बनकर रहें। लव कुश के माता पिता वहां रहने लगते हैं और तीनो बच्चो की देखभाल भी करने लगती हैं।अब हर रक्षा बंधन पर राजकुमारी लव कुश को राखी बांधती थी और दोनों भाइयों से तोहफा के रुप में अपनी रक्षा करवाने का वचन लेती थी ।

कहानी से शिक्षा - इस कहनी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि रक्षा बन्धन का सूत्र किसी तोहफा के मोहताज नहीं होता बल्कि रक्षा बन्धन का सूत्र तो भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। जिसमे भाई अपनी बहन को पुरी जीवन किसी भी स्थिति में अपनी बहन की रक्षा करने वादा करता है रक्षा बंधन सोने चांदी जैसी महंगी धातु का होना जरूरी नही है बल्कि रक्षा बन्धन का सूत्र तो एक साधरण सूत्र का भी हो सकता है।

इस कहानी के माध्यम से हम बच्चों को यह सीख देना चाहते हैं की महंगे गिफ्ट देखकर राखी नही बांधना चाहिए बल्की भाई का प्यार देखना चाहिए।


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2 Comments

  1. uninstall MacPaw CleanMyPC
    How to uninstall or reinstall the MacPaw CleanMyPC?
    To uninstall MacPaw CleanMyPC you will have to follow these messages:

    Firstly, go to the control panel and then click on uninstall a program option.
    Next, in the uninstall a program dialog box, choose the Macpaw CleanMyPC and then right click on it.
    When right-clicked, you will be asked to uninstall for which you will have to click on ok. Then wait for this application to get uninstalled.
    Now, after the app is uninstalled. You will have to restart your PC. Then now, for reinstallation, go to the macpaw.com. Next search for CleanMyPC installation.
    Now, you will find Free Download option in green, click on it.
    Now, an .exe file will be downloaded in your PC.
    After you have downloaded the .exe file, you will have to click o the .exe file to run.
    Next, the setup dialog box will open, where you will be prompted to click on install now button, click on it.
    Now, the installation process will be started and wait till it is completed. Then follow the on-screen instructions to complete the installation.
    Lastly, now you have reinstalled the CleanMyPC application once again.

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