सौतेली मां और सोना | Hindi Moral Short Story PDF Download In Hindi 2021 Online: नमस्कार दोस्तो, आशा करते है की आप सभी हमेशा की तरह स्वस्थ एवम सुरक्षित होंगे। हमेशा की तरह हम आपके लिए आज एक नई शिक्षाप्रद नैतिक कहानी जिसका शीर्षल "सौतेली मां और सोना" है। 


इस कहानी के 5 प्रमुख पात्र है जो निम्न है:

  1. सोना कहानी की मुख्य पात्र
  2. नरेंद्र - सोना और नंदनी के पिता
  3. माया - सोना की सौतेली मां
  4. परी - एक परी
  5. राजकुमार - सोना का जीवनसाथी


कहानी के अंत में हमेशा की तरह सभी पोस्ट में पीडीएफ फाइल प्रदान करते है। ताकि आप कभी भी कही भी कहानी को आराम से पढ़ सके। वैसे ही इस कहानी में भी अंत में PDF फाइल मौजूद है। आप चाहे तो download कर सके है। यह एकदम फ्री है। 


सौतेली मां, सोना और परी की कहानी | Moral Story For Kids 


सौतेली मां और सोना


शान्तिपुरम नाम का एक  गांव था वहां एक जमीदार नरेंद्र और उसकी पत्नी फूलमती रहते थे उसकी एक बेटी थी जिसका नाम सोना था वह बहुत छोटी थी।


फूलमती बहुत बीमार रहती थी नरेंद्र ने भूत से डाक्टरो को दिखाया लेकीन सभी डॉक्टर ने जवाब दे दिया था और बोला कुछ दिन की मेहमान है। 


इसलिए फूलमती चाहती थी कि वो अपने पति की दुसरी शादी करवा दे ताकि उनकी बेटी और पति का ख्याल रखने वाला कोई आ जाए ।


फूलमती कि तबियत को सुनकर उसके मायके से उसके घर वाले आए और उसकी हालत बहुत गंभीर थी इसलिए वो चहती थी कि अपनी छोटी बहन की शादी अपने पति से करा दे।


फूलमती जैसे चाहती थी बिल्कुल वैसे ही नरेंद्र की शादी उसकी छोटी बहन माया से  करवा दिया गया कुछ दिन बाद फूलमती गुजर जाती है।


फिर सोना की देखभाल माया करती है जब तक माया की कोई बच्चे नही थे तब तक तो सब ठीक था लेकिन दो साल बाद माया की खुद की बेटी हो गई जिसका नाम नन्दनी रखा गया ।


नंदनी के आने के बाद माया का प्यार सोना के लिए कम सा हो गया। धीरे धीरे वो सोना को बिल्कुल बेटी के जैसे नही मानती सिर्फ नन्दनी की देखभाल में पूरा समय निकाल देती थी।


सोना भी ज्यादा बड़ी नही हुई थी सिर्फ पांच साल की हुई थी लेकिन सोना बहुत समझदार बच्ची थी वो अपनी छोटी बहन नन्दनी से बहुत प्यार करती थी।


और नरेंद्र अगर कुछ खिलौने ले आता तो अपनी दोनो बेटियों के लिए ले आता नरेंद्र के सामने माया कुछ नही बोलती थी।


लेकीन नरेंद्र जैसे ही काम पर चला जाता  सोना के सारे खिलौने छीन कर नंदनी के पास रख देती थी और सोना को धमकाती की अगर उसने अपने पापा से कुछ भी कहा तो वो उसे खाना और नंदनी के आस पास बिल्कुल नही आने देगी ।


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इसी डर से बेचारी सोना किसी से कुछ नहीं बोलती माया अब उसे हर बात में डांटती मारती लेकिन सोना अपनी मां के डर से कुछ भी नहीं बोलती धीरे धीरे नंदनी भी बडी हो गई माया बहुत सुंदर और गुणी थी।


लेकीन उसकी छोटी बहन भी उसे बहुत प्यार करती थी। उसकी मां जब सोना को डांटती मांरती तो नंदनी को बिल्कुल अच्छा नही लगता था।


नंदनी बोलती मां तुम दीदी को क्यों डांटती मरती रहती हो? वो बेचारी तुम्हारी सारी बात सुनती तुम जो काम देती हो सब करती है तो दीदी को मेरे जैसे प्यार क्यों नही करती हो?


तो माया नंदनी को डॉट देती है और बोलती है तुम अभी छोटी हो तुम्हे समझ नही आयेगा। थोड़ा बड़ी हो जाओ तो खुद ही सब समझ जाओगी।


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माया के इस बर्ताव से सोना हमेशा दुःखी रहती और जब घर में कोई नही रहता तो अपनी मां की तस्वीर लेकर रोती और उनसे शिकयत करती की वो उसे छोड़कर क्यों चली गई लेकिन उसे कोई जवाब नही मिलता।


माया सोना से पूरा घर का काम करवाती और नन्दनी को कभी किसी काम के लिए नही बोलती अगर कभी नंदनी चुपके से मदद भी करने लगती तो माया के डर से सोना कभी कुछ नही करने देती ।


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एक बार पास के गाँव में मेला लगा तो नरेन्द्र बोला शाम को मैं काम से जल्दी आ जाऊंगा तुम सब तैयार रहना आज सभी को मेला दिखाने ले जाऊंगा मैं तुम तीनों से नदी के पास ही मिलूंगा।


तुम सब जल्दी से आ जाना फिर चलेंगे नरेंद्र के काम पर जाने के बाद माया सोना से बोलती है तुम्हे कहीं जाने की जरूरत नहीं तुम चुप चाप घर का काम करो।


मैं तुम्हारे पापा को बोल दूंगी तुम्हरा मन नही था इसलिए आने से तुमने मना कर सोना उदास मन से बोलती है ठीक है मां इतने में नंदनी बोलती हैं आगे दीदी को नही ले चलोगे तो मैं भी नहीं जाउंगी।


इतना सुनते ही माया को बहुत तेज का गुस्सा आता है और नंदनी से बोलती है अगर साथ में नही तो तुम्हारी लाडली दीदी की खैर नही है इसलिए अपना मुंह बन्द रखना ।



बेचारी नंदनी कुछ नही बोलती और चुप चाप अपनी मां के साथ चल देती है जब नरेन्द्र मिलता है और पूछता है सोना कहां है उसे क्यों नही ले आई? तो माया बोलती है उसको हमने बहुत बोला लेकिन पता नही वो आने को तैयार नही हुई।


नरेन्द्र को कुछ अजीब तो लगता है माया के बहाने से लेकिन वो कुछ नही बोलता और तीनो मेला मे पहुंच जाते है नन्दनी का अपनी दीदी के बिना मेला मे मन ही नही लगा रहा था।


इधर सोना घर पर बर्तन साफ करते हुए रोए जा रही थी। तभी वहां से एक परी गुजर रही थी। सोना के रोने की आवाज सुनकर वो भेष बदलकर नीचे आई और बोली बेटी तुम क्यों रो रही। तो सोना ने अपने सौतेली मां के बारे मे सब बताया।


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यह सुनकर परी को सोना की सौतेली मां पर बहुत गुस्सा आया और सोना से पूछा तुम मेला घुमना चहती हो। सोना हां में सर हिलाती लेकिन उदास मन से बोलती है मैं नहीं जाउंगी क्योंकि मुझे बहुत सारा काम करना है अगर मैने काम पूरा नही किया तो मां गुस्सा हो जायेगी।


परी बोलती और अपने असली रूप में आ जाती है और जादुई छड़ी निकालती है और जैसे घुमाती है मिनटों में सारा काम हो जाता है। उसके बाद सोना बोलती है। आपका नाम क्या है, परी बोलती है।


मैं परी लोक की रानी मां हूं तुम्हे रोते देखकर मेरा मन विचलित हुआ इसलिए तुम्हारे पास आ गई सोना बोलती है क्या मैं आपको परी मां बुला सकती हूं। परी बोलती है तुम्हरा जो प्यार से मन करे वो बुला सकती हो बेटी।


परी अपनी छड़ी निकालती है और जैसे सोना के ऊपर रखती वो बिल्कुल चांद से उतरी कोई परी जैसे लगने लगती है। दोनो जादूई छड़ी की मदद से सबसे पहले मेला पहुंच जाती है वहां खुब घूमती हैं और मिठाई भी खाती है तभी सोना पर एक राजकुमार की नजर पड़ती।


और वह सोना को देखते ही रहा जाते हैं। थोडी देर बाद जब उनकी नजर से सोना ओझल होती है तो वो सोना को ढूंढने लगते हैं। सोना जब सामने आती है तो मानो उन्हे जैसे जिंदगी मिल गई हो राजकुमार सोना का पीछा करते करते उसके घर तक आ जाते हैं।


परी सोना के पास होती है हमेशा लेकिन सिर्फ सोना को दिखाई देती हैं घर में किसी को नही जब उसके पापा घर आते हैं तो उन्होने सोचा सोना से पूछता हूं।


वो मेला क्यों नही आयी जब उसके पास गए तो उसके चेहरे पर बहुत चमक थी। प्यारी मुस्कान इसलिये उन्होने सोना से मेला न जानें का कारण नही पूछा ।


थोडी देर में दरवाजे पर एक  सैनिक की दस्तक होती है। और वह बोलते हैं आपके परिवार को महराज ने दरबार में बुलाया है नरेंद्र दरबार में डरते हुए जाता है और सोचता है उसे क्या गलती हो गई की महराज ने उसे बुलाया।


जैसे ही नरेद्र दरबार में पहुंचे उनके स्वागत में सैनिक फूलो की वर्षा करने लगे नरेद्र को कुछ समझ नही आ रहा था। तो उसने महराज से पूछ ही लिया महराज मुझसे क्या गलती हो गई जो आपने मुझे यहां बुलाया।


राजकुमार पास में ही खड़े थे वो नरेन्द्र का पैर छूते हैं और बोलते हैं काका मुझे आपकी लड़की बहुत पसंद है उसे विवाह करना चाहता हूं।


यह सुनकर नरेंद्र को कुछ समझ नही आ रहा था। उसे लग रहा था दिन में सपने देख रहा हो जैसे नरेंद्र उसकी खुशी के मारे उसके आंखों में आंसू आ गए शादी की बात सुनकर माया को लगता है।


राजकुमार और सोना की सौतेली मां और पिता


जरूर मेरी नंदनी को मेले में राजकुमार ने देखा होगा। नरेंद्र कुछ पूछता तभी माया बोल देती है ये रिश्ता हमें मंजूर है महाराज बोलते हैं ठीक है कल हमारे महल में जलसा रखा जाएगा जिसमे दोनो की शादी कर दिया जायेगा।


माया बहुत खुश होती है उसे लगता है कि उसकी बेटी नंदनी के लिए रिश्ता आया है। घर आकर नरेंद्र बोलता है बाजार से नए कपड़े लेकर आता हूं। तब तक तुम तैयारी कर लो इतना बोलकर बाजार चला जाता है।


और इधर माया सोना को सुनाती है कल मेरी बेटी और राजकुमार की शादी है तो हम वहां जाएंगे तुम्हे आने की कोई जरूरत नहीं। तुम कोई बहाना बना देना समझी मैं नहीं चाहती तुम्हरा साया मेरी बेटी की शादी में पड़े।


सोना नंदनी की शादी की बात सुनकर बहुत खुश होती और बोलती है ठीक है मां मैं नही जाऊंगी आप फिक्र मत करो। माया बोलती है ऐसा हो तभी ठीक है।


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दूसरे दिन जब सब जाने लगते हैं तो सोना अपने पिता से सर दर्द का बहना करके घर पर ही रुक जाती है और बोलती है आप लोग जाइए मेरे सर में दर्द है पिता जी, वर्रना मैं भी चलती।


उसके पापा सोना को दवा देते हैं। बोलते हैं ठीक है बेटा दवा खा कर तुम आराम करो हम जाना होगा। अपनी मां की हरकते देखकर नंदनी को बहुत गुस्सा आता है उसने सोचा की अपने पापा से सब बता दे।


अपनी मां के बारे में लेकिन सोना उसे कुछ न बोलने को कहती है और सबके जाने के बाद परी मां के होने के वजह से उदास नही होती है।


जब दरबार में तीनो पहुंचते हैं तो राजकुमार की नजरें सोना को ढूंढने लगती है लेकिन वह कहीं नहीं दिखाई पड़ती राजकूमार सोचते हैं हो सकता है थोडी देर में आए इसलिए वो थोडी देर शांत हो जाते हैं।


और बार बार दरवाजे की तरफ देखते हैं राजकुमार के तरफ देखकर उन्हें दरवाजे के तरफ बार बार देखते हुए नंदनी समझ जाती है। की जरूर वो उसकी दीदी को ढूंढ रहे हैं।


नंदनी राजकुमार के पास जाकर पुछती है आप बार बार दरवाजे के तरफ क्यों देख रहे हैं? राजकुमार बोलते हैं अभी आपकी बहन क्यों नहीं आई नरेंद्र दोनो की बात सुन लेते है और बोलते सोना के सिर में दर्द था।


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इसलिए वो घर पर आराम कर रही इतना सुनते ही राजकुमार तुरंत वहां से भागते हुए बाहर की ओर जाते हैं और अपना मन पसन्द घोड़ा निकलते हैं। और नरेंद्र के घर की ओर चल पड़ते हैं। 


यह देखकर सब हैरान होते हैं लेकिन नन्दनी और उसके पापा सब समझ जाते है की राजकुमार उसे नही बल्कि सोना को पसन्द किए हैं दोनों बहुत खुश होते है।


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माया नरेंद्र से पुछती ये सब क्या हो रहा है हमे राजकुमार यहां बुलाकर खुद कहां चले गए?  नरेंद्र बोलता है थोडी देर रुको सब समझ आ जाएगा ।


राजकुमार दरवाजे पर दस्तक देते हैं और दरवाजा खटखटाया तो सोना दरवाजा खोलती है तो उसे राजकुमार दिखाई देते हैं राजकुमार बोलते हैं मैं तुम्हे लेने आया हुं।


यह सुनकर सोना बोलती है मुझे क्यों लेने आए हैं। आप राजकुमार बोलते हैं आज हमारी शादी है आपके पिता जी ने बताया नही क्या? मैं आपको पसंद नहीं सोना बोलती है आप बहुत अच्छे हो।


लेकिन मेरी शादी मेरे पिता जी की पसंद से होगी और उन्होने मुझे इस बारे में कुछ नही बताया। आप मेरे पिता जी से बात कीजिए इतना बोलकर सोना दरवाजा बंद कर लेती है राजकुमार वापस जाते है।


राजकुमार तूफान की तरह अपने घोड़े को दौड़ाते हुए। महल वापस आते है और झटपट दरबार की ओर दौड़ पद है जहा सब पहले से मौजूद है। और जैसे ही वह दरबार में पहुंचते है। 


महराज उनसे पूछते हैं की आप इतनी जल्दी में कहां चले गए थे? राजकुमार, महाराज को सारी बात बताते हैं और महाराज नरेन्द्र और माया को बुलाते हैं और बोलते हैं हमारी होने वाली बहु कहां है?


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माया तुरंत नंदनी को महाराज के पास ले आती है। तो राजकुमार बोलते हैं मैने इन्हें नही बल्कि आपकी दूसरी बेटी को पसन्द किया है यह सुनकर माया को बहुत गुस्सा आता है उसे समझ नहीं आता की माया को राजकुमार ने कब देख लिया।


जबकि वो तो घर पर ही रहती है माया की महाराज के सामने कुछ बोलने की हिम्मत नही पड़ती राजकुमार ने सोना को पसंद किया था सुनकर नंदनी बहुत खुश होती है।


नरेंद्र थोडा उदास दिखा था सोचकर की सोना की तबियत ठीक नही अब वो महाराज से क्या बोले नरेंद्र को उदास देखकर नंदनी अपने पिता जी से पुछती है क्या हुआ पिता जी आपको तो खुश होना चाहिए।


नरेंद्र बोलता है बेटा तुम्हारी दीदी की तबीयत ठीक नही नही थी इसलिए तो वो आने को तैयार नही हुई अब उसे कैसे ले आएं मै सोच रहा महराज को बता देता हूं शादी किसी और दिन हो जाएगी।


नन्दनी अपने पिता की चिन्ता को देखकर सब बता देती है की दीदी की तबियत बिल्कुल ठीक है पिता जी उन्हे मां ने आने से मना किया था इसलिए उन्होंने न आने के लिए बहाना बना दिया।


और उस दिन मेला वाले दिन भी मां ने ही उन्हें नही आने दिया और उन्हें ढेर सारा घर का काम दे दिया था। यह सुनकर नरेंद्र को बहुत गुस्सा आता है और वह महाराज के पास जाकर कुछ समय मंगता है।


ताकि वह अपनी दुसरी बेटी को लेकर आ पाए। महराज बोलते हैं ठीक है, राजकुमार बोलते हैं मैं भी आपके साथ चलना चाहता हूं।


अगर आपकी इजाजत हो तो नरेंद्र और राजकुमार दोनो पहुंच जाते हैं अपने पिता और राजकुमार को देखकर समझ जाती हैं लेकिन मां के डर से सर दर्द का बहना बनाने लगती है।


तो नरेंद्र बोलता है मैं सब जान गया हूं नंदनी ने मुझे सब बता दिया है यह सुनकर सोना बोलती पिता जी मैं चलने को तैयार हूं लेकिन आप मां को कुछ नही बोलोगे इतना बोलकर अपनी कसम दे देती है।

राजकुमार और सोना


ताकि उसके जानें के बाद उसके पिता उसकी मां को कुछ न कहे। नरेंद्र बोलता अच्छा ठीक है मैं कुछ नहीं बोलूंगा तुम चलो हमारे साथ नरेंद्र सोना को लेकर महल पहुंच जाते हैं।


सोना इतनी खूबसूरत थी की जो भी उसे देखे देखता रह जाए। महराज राजकुमार की पसंद की तारीफ करते हैं और दासियों के साथ तैयार होने के लिए भेज देते हैं


सोना बोलती है मैं खुद से तैयार होना चहती हुं दासियों के जानें के बाद परी सोना को मिनटों में तैयार कर देती है और बाहर सोना के साथ-साथ आती हैं।


परी सोना के अलावा किसी और को नही दिखाई देती सोना और राजकुमार की शादी हो जाती है सब आशीर्वाद देते हैं दोनो को माया से सोना की खुशी देखी नही जाती इसलिए वह बिना आशीर्वाद दिए ही चाली जाती है।


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यह देखकर सोना को बहुत दुःख होता है लेकिन वह किसी से कुछ नहीं बोलती अपनी छोटी बहन को गले लगाती है और फिर सब अपने अपने घर चले जाते हैं। 


नंदनी और उसके पिता जी भी घर आ जाते हैं। परी भी सोना को आशीर्वाद के रूप मे एक लॉकिट देती हैं परी को जाते देख सोना रोने लगती है।


तो परी बोलती हैं जीवन कभी मेरी जरूरत पड़े तो लॉकिट में हाथ रखकर याद कर लेना मुझे अपने पास पाओगी अब मुझे जाना होगा तुम्हरा ख्याल रखने के लिए राजकुमार हैं मुझे उम्मीद है।


वो तुम्हे कभी दुखी नही होने देंगें इतना बोलकर परी आसमान की तरफ जानें लगती हैं और बोलती याद रखना कभी मेरी जरूरत पड़े तो बस याद कर लेना मुझे अपने पास पाओगी ।


नन्दनी घर आ कर अपने पिता जी से पूछती हैं की वो मां को डांटे क्यों नहीं तो नरेंद्र बोलता है की जो माया ने गलती की है उसके लिए मैं उसे घर से निकाल देता लेकिन मैंने तुम्हारी दीदी को वादा किया है। की उसे कुछ भी नहीं बोलूंगा इसलिए मैने माया को माफ कर दिया।


नंदनी और उसके पिता की बात माया सुन रही थी। सारी बात सुनकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने सोना को कभी अपनी बेटी नही मना लेकिन सोना बेटी होने का सारा फर्ज निभाती रही वो अपने पति से माफी मांगने लगी।


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तो नरेंद्र बोलता है की माफी मुझसे नही बल्की जिसके साथ गलत किया है उसे मांगो दूसरे दिन माया महल पहुंचती है।


राजकुमार और सोना अपनी प्रजा के साथ


और सबके सामने माफी मांगने लगती सोना अपनी मां को माफी मंगते देखकर उन्हें गले से लगा लेती है। और बोलती हैं मुझे कभी आपसे कोई शिकयत नही थी मां आप जो भी हुआ पुरानी बात सब भूल जाओ।


कहनी से शिक्षा - हमे इस कहानी से यह शिक्षा प्राप्त होती है की, जिस प्रकार हम अपने बच्चो को प्रेम करते है, ठीक उसी प्रकार हमे दूसरे बच्चों को भी प्रेम करना चाहिए। कभी भी किसी से सौतेला व्यवहार नही करना चाहिए। और सोना के जैसे अपने से बड़ों को हमेशा प्रेम, आदर और सम्मान करना चाहिए। गलती का एहसास होने पर वो खुद ही सरमिन्दा होंगे। 


हम आशा करते है की आपको हमारी यह कहानी "सौतेली मां और परी | Hindi Moral Short Story PDF F Download In Hindi 2021 Online " पसंद आई होगी और इस कहानी से आप नही सीख भी प्राप्त को होगी। इस कहनी को दूसरे के साथ साझा जरूर करे। 


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2 Comments

  1. आप की कहानिया बहुत ही बढ़िया होती है। आशा है आगे भी आप ऐसी ही बेहतरीन कहानिया देते रहेंगे।

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    1. We are always excited to bring out new and updated stories which is worth reading. We appreciate your kind words. Thank you !!

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