MoralStoryHub में आप सभी पाठकों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है हम आशा करते हैं कि आप स्वस्थ एवं सुरक्षित होंगे हमेशा की तरह आज हम फिर एक नई कहानी (गरीब, लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story | Moral Story In Hindi PDF) के साथ आपके सामने हाजिर हैं आज के इस कहानी में आप इस महामारी पर काल्पनिक कहानी लॉकडाउन और भूख पढ़ेंगे। हम आशा करते है आपको यह मोरल स्टोरी पसन्द आएगी।
जैसा की आप जानते है हम प्रत्येक कहानी के अंत मे आप सभी के लिए कहानी की पीडीएफ फ़ाइल देते है। जिसको आप डाउनलोड करके आराम से कहानी का आनंद ले सकते है।
|
ज्योति शहर के एक छोटे से अस्पताल में नर्स का काम करती थी उसका पति राकेश शहर के एक सेठ के यहां ड्राइवर की नौकरी करता था घर में उन दोनों के अलावा उनकी एक 5 महीने की छोटी सी बच्ची और राकेश की मां रहती थी।
उनकी आमदनी कम थी और खर्चा ज्यादा था बस किसी तरह उनकी गाड़ी धीरे धीरे चल रही थी कि अचानक एक दिन भूचाल आ गया जब उस दिन शाम को रात को घर आया तो बहुत परेशान था।
आप पढ़ रहे है - गरीब का लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story | moral story in hindi with pictures
उधर ज्योति का भी मुंह उतरा हुआ था राकेश कुछ कहता उससे पहले ज्योति बोल पड़ी - शहर में कोरोना के केस बहुत बढ़ चुके है। कल से सभी नर्सो को ओवरटाइम करना है। मैं कल से 10 बजे से पहले घर नही आ पाउंगी।
तभी राकेश ने भी बोला कि एक बुरी खबर मेरे पास भी है। कल से मेरे सेठ की भी दुकाने बन्द हो जयेगी। इसी कोरोना के चलते तो मेरे सेठ ने मुझे 1 महीने की पगार देकर मुझे नौकरी से निकाल दिया। तब तक वहां उसकी माँ भी आ गयी।
इन्हे भी पढ़े - Best Moral Stories In Hindi 2021 With PDF | The Farmer Story
तभी उसकी माँ भी बोलती है कि अरे बहु अगर कल से तुम अस्पताल से 10 बजे घर वापस आओगी तो इस बच्ची को दूध कौन पिलायेगा। इस समय बच्ची को कम से कम दिन में 1 बार माँ का दूध पिलाना भी जरूरी होता है।
तभी ज्योति बोलती है कि क्या करूँ माँ, अगर यह आदेश नही माना तो मुझे नौकरी से निकाल दिया जयेगा। इनकी नौकरी भी छूट गयी है। इनका काम भी बंद हो गया है। अब अगर मैं भी नही जाउंगी तो घर का गुजारा कैसे चलेगा माँ।
Image From Best Buddies |
राकेश की माँ भी समझ गयी, अब इसके अलावा कोई चारा नही है। मुसीबत है कर भी क्या सकते है। अगले दिन से ज्योति ने ओवरटाइम करना शुरू कर दिया। और घर पर माँ और राकेश बच्ची का ख्याल रखा करते थे।
लेकिन कहते है ना कि मुसीबत कभी अकेली नही आती है। अस्पताल में मरीजो की दिन रात सेवा करते करते ज्योति खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गयी। और उसे खुद को भी उसी अस्पताल में एडमिट होना पड़ गया।
अब उसे पूरे 2 हफ्ते हो गए अपने परिवार से मिले हुए और अपने बच्ची की शक्ल देखे हुए। इधर राकेश को मिली सैलरी और घर में जमा पैसे भी धीरे धीरे खत्म होने लगे थे। उसके पैसे खत्म होने का एक बड़ा कारण ये था।
की इस लॉकडाउन में कुछ लालची लोग दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाकर जैसे दूध, फल, अनाज एवम अन्य पदर्थों का कालाबजारी कर रहे थे। वे लोग बड़ी बेशर्मी से इन समानो को बड़ी तेजी से दुगने-तिगुने दामो पर बेच रहे थे।
एक दिन राकेश की माँ उसके पास आई और कहा बेटा दूध खत्म हो गया है बच्ची सुबह से रो रही थी। रात का जो थोड़ा सा दूध बचा था मैंने उसमे थोड़ा सा पानी मिलाकर बच्ची को पिला दिया है।
आप पढ़ रहे है - गरीब का लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story | Moral Story In Hindi
मगर शाम को फिर बच्ची जैसे उठेगी फिर दूध चाहिए होगा कुछ कर बेटा सारा शहर लॉकडाउन की वजह से सन्नाटे के गिरफ्त में था राकेश बाहर जाने से बहुत डर रहा था कि कहीं पुलिस उसकी कुटाई न कर दे।
लेकिन अपनी बच्ची को देख कर उसके अंदर के पिता को रहा ना गया फिर राकेश ने सोचा की चाहे सर फूटे या पैर टूटे अब मैं अपनी बच्ची के लिए दूध लाकर ही रहूंगा इस तरह से राकेश पक्का इरादा कर मास्क लगाकर घर से बाजार की ओर निकला।
राकेश की जेब में केवल डेढ़ सौ रुपए ही पढ़े थे शहर की सारी दुकानें बंद पड़ी थी काफी देर इधर-उधर भटकने के बाद राकेश को एक दुकान नजर आई दुकान का दरवाजा खुला हुआ था उस दुकान में केवल का मालिक था।
इन्हे भी पढ़े - सौतेली मां और सोना | Hindi Moral Short Story PDF Download In Hindi 2021 Online
जो दुकान का सामान समेटकर दुकान बंद करने की तैयारी कर रहा था राकेश दुकान के पास पहुंचता है और पूछता है दुकान में कोई है दुकान का मालिक बोलता है दिखता नहीं मैं दुकान बंद करने जा रहा हूं आज की दुकान का समय खत्म हो गया है।
अब जो कुछ भी लेना है कल आना अगर पुलिस ने देख लिया ना कि अभी तक दुकान खुली हुई है तो आकर मेरी धुलाई कर देगी राकेश बोला ऐसा मत करो भाई घर में मेरी 5 महीने की बच्ची भूख से तड़प रही है एक पैकेट दूध दे दो आपकी बहुत मेहरबानी होगी।
Image Best Buddies |
दुकानदार बोला एक पैकेट दूध के ₹100 लगेंगे राकेश बोला ऐसा जुल्म मत करो भाई ₹20 का बेच रहे थे हम फिर भी कुछ नहीं बोल रहे थे लेकिन आज अचानक ₹100 कर दिया अरे भाई क्यों हम गरीबों को मारने पर तुले हुए हो।
दुकानदार बोला देख भाई मेरे पास तुमसे बहस करने का वक्त नहीं है लेना है तो ले नहीं तो चल रास्ता ना चल दुकानदार की पिटाई पर रखिए उसका खून खौल गया उसका मन कर रहा था कि वो उसको वही मार दे मगर राकेश अपनी बच्ची का ख्याल कर चुप ही रहा।
राकेश दुकानदार को ₹100 देता है और दूध का पैकेट लेकर घर आ गया लेकिन राकेश को अगले दिन फिर दूध की जरूरत पड़ी लेकिन आज राकेश के जेब में केवल ₹50 पड़े थे राकेश उन्हीं ₹50 को लेकर और आज फिर उस दुकानदार के पास जाता है।
आप पढ़ रहे है - गरीब का लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story | moral story in hindi with pictures
अब इस बार दुकान का मालिक राकेश को दूध देने से इंकार कर देता है और दुकान का मालिक बोलता है ₹100 से ₹1 भी कम नहीं लूंगा राकेश बोलता है आसिफ मेरे पास ₹50 ही है अरे भाई मुझ पर दया करो मैं लॉकडाउन खत्म होते ही मैं तुम्हारे सारे पैसे वापस कर दूंगा।
दुकान का मालिक बोलता है चल चल आगे बढ़ पता नहीं कहां-कहां से आ जाते हैं धंधे के टाइम दिमाग खोटी करने राकेश कहां से निराश हो कर चला जाता है और काफी देर इधर-उधर भटकने के बाद उसको एक छोटा सा चाय का स्टाल दिखा दुकान खुली हुई थी और कुछ पुलिसवाले वहां पर बैठकर चाय का आनंद ले रहे थे।
राकेश ने सोचा यहां मुझे मेरी बेटी के लिए दूध मिल सकता है मगर कहीं पुलिस वाले लॉकडाउन में बाहर निकलने की वजह से मेरी पिटाई ना कर दे मगर ऐसे चुप रहने से भी तो कुछ नहीं होगा राकेश ने बोला दूध तो मुझे हर हाल में चाहिए मेरी बेटी के लिए यह सब सोचकर राकेश वहां चाय वाले के पास पहुंचा।
चाय वाले ने राकेश से बोला अरे भैया इस लॉकडाउन में कहां बाहर घूम रहे हो तुम? तभी राकेश ने बोला मुझे थोड़ा सा दूध चाहिए तभी चाय वाला बोलता है कि देखो भैया यह दुकान हम इन पुलिस वालों को चाय पिलाने के लिए खोले हैं समझे विचारों को पूरी रात ड्यूटी करनी पड़ती है।
और इनको भी अपने थकावट दूर करने के लिए चाय की जरूरत पड़ती है मगर तुम हमको यह बताओ तुम्हारे घर के आस पास कोई दुकान नहीं है क्या जो तुम बाजार तक दूध लेने चले आए राकेश अपनी सारी आप बीती बातें उस चाय वाले को बताता है।
इन्हे भी पढ़े - बुद्धिमान चायवाला | बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी pdf download
राकेश कि आप बीती बातें सुनकर चाय वाले के साथ-साथ पुलिस वालों की भी आंखें नम हो जाती है तभी चाय वाला कहता है कि मेरे पास तो सिर्फ 1 लीटर दूध बचा है तुम यह लो 1 लीटर दूध से अपने घर ले जाओ और काम चलाओ।
और कहता है कि मेरा और कहता है कि तुम मेरा मोबाइल नंबर लिख लो दूध की जरूरत हो तो मुझे कॉल कर लेना और हम तुम्हारे घर में डूब पहुंचा दिया करेंगे तभी राकेश कहता है मेरे पास केवल या ₹50 है इसे रख लो बाकी बचे हुए पैसे मैं आपको बाद में वापस कर दूंगा।
अभी चाय वाला कहता है राकेश से नहीं भाई मैं भी पैसे नहीं ले सकता मुझे पाप लगेगा मैं भी एक पिता हूं मुझे तुम्हारी तकलीफ समझ में आ रही है तुम आराम से पैसे दे देना जब तुम्हारे पास हो जाए नहीं हो तो मत देना भैया फिलहाल तुम यह दूध अपने घर लेकर जाओ और अपने बच्चे को पिलाओ।
राकेश चाय वाले को धन्यवाद करके वहां से अपने घर की ओर चल देता है तभी राकेश को पीछे एक पुलिस वाला बोलता है 1 मिनट रुकना तुमने बिना परमिट लॉक डाउन में घर से बाहर निकले हो, तुमने नियम तोड़ा है।
आप पढ़ रहे है - गरीब का लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story | Moral Story In Hindi
तुम्हें जुर्माना देना पड़ेगा राकेश के हाथ पांव फूल गए राकेश ने काटते हुए कहा साहब मेरे पास केवल ₹50 ही बचे थे इसे ले लीजिए साहब और अब मुझे जाने दीजिए वह पुलिस वाला राकेश के पास हस्ते हुए आया और उसको 500 रुपये की नोट पकड़ा देता है।
और कहने लगता है कि अरे भाई इन पैसों से तुम अपने घर के लिए खाने पीने का सामान ले लेना और जितना हो सके घर से बाहर कब निकलना और घर जाओ और मुझे उस दुकानदार का पता बताओ जो इस लोक डाउन में रातोंरात लखपति बनने का सपना देखा है।
पुलिस वाला बोलता है पुलिस के डंडों के हकदार ऐसे ही लोग होते हैं श्री राकेश पुलिस वाले को उस दुकानदार का पता बता देता है राकेश जो वहां से चला तो उसका रोम रोम उस चाय वाले पुलिस वालों को धन्यवाद देता है।
इन्हे भी पढ़े - बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी pdf download | गरीब का नसीब Hindi Moral Stories
और अपने मन में सोचने लगता है कि दुनिया पुलिस वाले को चाहे जो कहें लेकिन आज मेरे लिए पुलिस वाले भगवान के जैसे हैं कहता है कि आज मैं समझ गया चाहे जितनी मुसीबत हो भगवान के नजरों में अपने भक्तों का ध्यान हमेशा बना रहता है।
कहानी से शिक्षा - इस कहानी से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता जैसे हमे सदैव ईमानदारी दिखानी चाहिए जैसे उस चायवाले ने राकेश की मदद की इस महामारी में भी। और मुसीबत चाहे जितनी बड़ी हो कभी हिम्मत नही हरनी चाहिए। और हा इंसान को कभी भी किसी की मजबूरी का फायदा नही उठाना चाहिए। नही तो उसका परिणाम बहुत बुरा होता है।
Download Hindi PDF for गरीब, लॉकडाउन और भूख | Corona Pandemic Story
Post a Comment