[PDF] Best Friendship Story In Hindi बंदर और मगरमच्छ की कहानी - नमस्कार पाठकों, आशा है की आप सभी स्वस्थ एवम खुशहाल होंगे। हमेशा की तरह आज फिर एक नई कहानी के साथ हम आपके लिए एक नई हिंदी कहानी लेकर आए है। जो बच्चों के साथ साथ बड़े भी आनंद ले सकते है। इस कहानी में बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती देखने को मिलेगी।
हमेशा की तरह कहानी के अंत में आप इस कहानी की पीडीएफ फाइल भी download कर सके है। नीचे दिए गए बटन का प्रयोग करके तुरंत डाउनलोड करे बंदर और मगरमच्छ को लिखी हुई कहानी वो भी फ्री में।
बंदर और मगरमच्छ की लिखी हुई कहानी
एक नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था उसमें एक नटखट और चालक और शरारती बंदर रहता था। और नदी के अंदर एक मगरमच्छ और उसकी पत्नी रहते थे मगरमच्छ रोज सुबह पानी से निकलकर धूप लिया करता था।
और बंदर मीठे मीठे जामुन खाया करता था एक दिन एक जामुन मगरमच्छ के मुंह में जाकर गिरा उसे बहुत स्वादिष्ट लगी ऊपर देखा तो बन्दर बैठा मगरमच्छ को लालच आ रहा था।
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यह देखकर बंदर ने पुछा क्या हुआ भाई मगरमच्छ ने कहा मुझसे दोस्ती करोगे बंदर ने कहा एक शर्त पर मगरमच्छ ने कहा मंजूर है बोलो क्या शर्त तुम्हारी।
बंदर ने कहा मुझे रोज अपने पीठ पर बैठा कर पानी की सैर कराने को बोलो तब मगरमच्छ बोलता है ठीक है जैसे तुम बोलोगे वैसा होगा अब तो मुझसे दोस्ती करोगे बंदर ने बोला हां।
दोनों की खुब अच्छी दोस्ती हो जाती दोनो एक दूसरे को भाई की तरह प्यार करते थे। बन्दर रोज मगरमच्छ मीठे मीठे जामुन तोड़कर देता जब मगरमच्छ अपने घर जानें लगता तो जामुन ले जाया करता था।
घर जाकर वो और उसकी पत्नी दोनो खाते मगरमच्छ की पत्नि जामुन की खूब तारीफ करती मगरमच्छ अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था उसकी हर एक छोटी बडी ख्वाइश पूरा करता।
मगरमच्छ बन्दर से कहता तुम्हारी भाभी जामुन की खूब तारीफ करती हैं। यह सुनकर बन्दर बहुत खुश होता और फिर बंदर को अपने ऊपर बैठकर पानी में सैर कराया और फिर जामुन लेकर मगरमच्छ घर पहुंच गया घर पहुंचता है।
तो मगरमच्छ की पत्नी बोलती है सुनिए जी आपसे एक बात बोलूं मगरमच्छ बोलता है बोलो उसकी पत्नी बोलती है आप मेरी हर ख्वाइश पूरी करते हो मुझे उम्मीद है आप मना नही करोगे।
मगरमच्छ बोलता है हां बोलो क्या चाहिए उसकी पत्नी बोलती है जरा सोचिए जिस बन्दर के दिए हुए फल इतने मीठे हैं उसका दिल कितना स्वादिष्ट होगा मगरमच्छ बोलता है तुम कहेना क्या चाहती हो।
उसकी पत्नी बोलती हैं मुझे उस बंदर का दिल खाना है उसे दावत दीजिए और यहां तक ले आइए उसके बाद यहां तक अगर आ गया तो मैं सब संभाल लूंगी मगरमच्छ बोलता है कैसी बात कर रही हो वो मेरा दोस्त है।
मगरमच्छ की पत्नी बोलती है और आपकी बीवी आज तक आपने मेरी कोई बात नही टाली इतना भी नही कर सकते मेरे लिए मगरमच्छ बोलता है ठीक है कोशिश करता हूं।
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दूसरे दिन मगरमच्छ अपने समय पर पहुंच जाता है और उदास मन से बंदर को अपने घर दावत देता है की कल तुम्हारी दावत है तुम्हारी भाभी तुम्हे खाने पर बुलायी है।
बंदर बोलता है दावत तो ठीक है पर तुम उदास क्यूं हो मगरमच्छ बहना बनाते हुए बोलता है की मुझे लगा तुम नही चलोगे अगर तुम नही चले तो तुम्हारी भाभी नाराज हो जायेगी।
बंदर बोलता है अरे मैं क्यूं नही चलूंगा भाभी ने इतने प्यार से दावत भेजवाया है मैं जरूर चलूंगा मगरमच्छ बोलता है तो ठीक है कल तुम तैयार रहना कल तुम्हारी दावत है।
और वहां से उदास मन से वापस आ जाता उसकी पत्नी पुछती है क्या हुआ दावत दिया मगरमच्छ बोलता है हां दे दिया वो कल आएगा यह सुनकर उसकी पत्नी बहुत खुश होती है की कल तो मजा ही आ जायेगा।
दूसरे दिन मगरमच्छ पहुंच जाता है बंदर कुछ जामुन तोड़ कर इक्कठा कर लेता है ले जानें के लिए बंदर जामुन लेकर मगरमच्छ के ऊपर बैठकर चल देते हैं। दोनो कुछ ही समय में पहुंच जाते हैं।
और बंदर मगरमच्छ की पत्नी से नमस्ते करता है और पेड़ से तोड़े हुए मीठे मीठे फल देता मगरमच्छ बहुत उदास रहता है मगरमच्छ को उदास देखकर बंदर बोलता है मेरे आने से तू खुश नही है क्या ।
जबसे आया है उदास है मगरमच्छ बोलता है दोस्त मैने तुमसे झूठ बोला यह कोई दावत नही है मेरी पत्नी को तुम्हारे दिए हुए जामुन इतनी स्वादिष्ट लगी की अब उसे तुम्हरा दिल खाने को चहिए।
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अगर मै तुम वहां बता देता तो तुम यहां कभी नही आते इसलिए बिना कुछ बताए दावत के बहाने ले आया हुं। मगरमच्छ की पत्नी बहुत मुस्कुरा रही थी की आज तो रोज से भी अच्छा भोजन मिलेगा।
इतने में बंदर हंसते हुए बोलता है बस इतनी सी बात से तू उदास है अगर तूने मुझे बताया होता तो मैं अपना दिल साथ ले आता मैने मेरा दिल तो जामुन के पेड़ पर ही रख दिया और ये जामुन लेकर चला आया।
ये सुनकर मगरमच्छ की पत्नी मगरमच्छ की पत्नी गुस्से से बोलती है देखा मैने कहा था न कि जब तुम्हरा अच्छा दोस्त है तो वो जरूर सुनेंगे अगर तुमने बताया होता तो साथ में ही ले आते अब समय बर्बाद होगा ।
फिर से जाना पड़ेगा तुम दोनों को ठीक को जामुन हाथ में लिए हैं उसे मुझे दे दीजिए और तुम दोनो जाकर दिल ले आओ तब तक मैं ये मिठे मिठे जामुन का स्वाद लेती हूं । मगरमच्छ आपनी पत्नी की बात सुनकर बंदर को लेकर वापस जामुन के पेड़ की तरफ निकल पड़ते हैं।
बंदर जामुन के पेड़ तक जेसे ही पहुंचता है छलांग लगाकर तुरन्त पेड़ पर चढ़ जाता है और वहां से बोलता है आज से हमारी तुम्हारी दोस्ती खत्म तुमने मुझे धोखा दिया।
अपने बीवी के चक्कर मे अपने दोस्त की बलि देना उचित समझा तुमने आज से भूल जाओ की तुम्हरा कोई बंदर दोस्त बना था और एक बात अगर आज मैने बुद्धिमानी नही दिखाया होता।
तो तुम सबका तो नाश्ता बन चुका होता तुम्हारी बीवी और तुम्हारी बेवकूफी ने मुझे बचा लिया किसी का दिल उसके अंदर होता न की यहां वहां पेड़ पर मगरमच्छ बहुत शर्मिन्दा होता है।
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फिर बन्दर बोलता है अपने बेवकूफ बीवी को बताना जामुन स्वादिट होने से किसी का दिल स्वादिष्ट नही हो जाता मैने तुम्हे सच्चा दोस्त माना था लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया। इतना बोलकर बंदर जंगल की ओर चला जाता है।
और मगरमच्छ रोता हुआ अपने घर पहुंचता है तो उसकी बीवी पुछती है बंदर कहां हैं तो मगरमच्छ गुस्से से बोलता है आज तुम्हारी वजह से मैंने अपना सच्चा दोस्त खो दिया।
कहानी से शिक्षा :- इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि सच्चे दोस्त को कभी धोखा नही देना चाहिए और गलत का कभी साथ नही देना चाहिए फिर चाहे वो आपकी कितनी खास क्यूं न हो गलत करने वालों को भी सही रास्ता दिखाना चहिए न की उसी रस्ते पर खुद भी चल दो।
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