Moral Of Ser Ka Sawaser Story With PDF | मोरल ऑफ़ शेर का सवाशेर कहानी पीडीएफ - प्रिय पाठको आप सभी का मोरल स्टोरी हब में स्वागत है। हम आशा करते हैं आप स्वस्थ और सुरक्षित होंगे हमेशा की तरह आज हम एक नई पोस्ट में एक नई कहानी के साथ हाजिर हुए हैं। 

आज की कहानी का शीर्षक होगा शेर का सवा शेर कहानी या फिर शेर को सवा शेर की कहानी  बहुत ही अच्छी कहानी है। इससे बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर मिलेगी कहानी के साथ-साथ कहानी का वीडियो भी साझा किया गया है। 

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मोरल ऑफ़ शेर का सवाशेर कहानी
Image Source: Spiritual TV


एक राज महल के पिछवाड़े में एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसमें अनेक सुनहरे हंस रहते थे। प्रत्येक हंस छह मास बाद सोने का एक पंख सरोवर के तट पर छोड़ देता था। जिसे राजा के सेवक उठा ले जाते थे। 

उस सरोवर में एक बार बहुत बड़ा पक्षी आया। उसे देखते ही सारे हंस बोले, 'अरे भाई तुम हमारे बीच क्या नहीं रह सकते। तुम यहां क्यों चले आए? हम हर छह महीने बाद राजा को एक-एक सोने का पंख देते हैं। इस तरह हमने तालाब खरीद लिया है।' 

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'भाइयों! मैं तो बेसहारा हूं बड़ी आशा से आप लोगों की शरण में आया हूं। वह पक्षी बोला मगर किसी ने उसकी प्रार्थना नहीं सुनी। बल्कि उसे दुत्कार कर भगा दिया। 

हंसों का ऐसा व्यवहार देखकर पक्षी को बहुत क्रोध आया उसने मन ही मन निर्णय लिया कि इन घमंडी हंसों को सबक सिखाना ही पड़ेगा वह पक्षी राजा के पास गया और बोला, 

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'महाराज! आपके सरोवर के हंस बड़ी घमंडी और बदतमीज है मैं वहां शरणार्थी बनकर गया था। और प्रार्थना की थी कि दयालु राजा के मानसरोवर में मुझे भी स्थान दे दो। लेकिन उन्होंने मेरी प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया। 

बल्कि उनमें से एक हंस ने अकड़ कर कहा राजा कौन होता है? वह हमारा क्या बिगाड़ लेगा। यह सरोवर हमने उससे खरीद लिया है।  महाराज वे सभी सोचते हैं कि सोने का पंख देकर उन्होंने पूरा सरोवर ही खरीद लिया है। 

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मेरा अपमान करके मुझे वहां से भगा दिया आपके राज्य में ऐसा अन्य होना सुगनी नहीं है।  न्याय करें महाराज तुम चिंता ना करो हम अवश्य न्याय करेंगे राजा ने उसे सांत्वना देकर। सैनिकों से कहा तुम लोग इसी समय उसको मेरे सामने पेश करो।  

और घमंडी हंसों को दंडित किया जाएगा।  राजा का हुक्म पाकर सैनिक सरोवर की ओर कूच कर गए।  हंसों ने सैनिकों के सरोवर की ओर आते देखा तो उनमें से एक हट बूढ़ा हंस बोला दोस्तों अब इस सरोवर को छोड़ देना ही हितकर है।  

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लगता है उस पक्षी ने हमारे खिलाफ राजा के कान भर दिए हैं।  अब हमें दंडित भी किया जा सकता है बड़े हंस की बात मानकर तुरंत सारे हंस वहां से उड़ गए।  राजा ने नए पक्षी को तालाब में रहने की आज्ञा दे दी।  

मोरल ऑफ़ शेर का सवाशेर कहानी 

कहानी से शिक्षा - घमंडी का सिर सदैव नीचा होता है। अहंकार के मद में चूर होकर किसी का अपमान करना ठीक नहीं शरणागत तो अच्छी होता है।  उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन हम सोने तो सरवर पर अपना अधिकार समझ लिया था।  इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा और उसी स्थान को छोड़कर अन्यत्र शरण लेनी पड़ी। 

सेर को सवा सेर | घमंडी का सिर सदैव नीचा होता है | Hindi Moral Story


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