Top 2 Moral Stories In Hindi PDF | हिंदी नैतिक कहानियां | शार्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी- नमस्कार आप सभी को, आशा करता हू आप सभी स्वास्थ्य और सुरक्षित होंगे। और हमारी कहानिया पढ़ कर आप सभी अपना समय भी अच्छे से व्यातीत कर रहे होंगे। आज की इस पोस्ट में मैं आपके साथ 3 बेहतरीन कहानिया साझा करूँगा जिससे आप, आपके बच्चे कोई भी पढ़ सकता है। हमारी कहानिया मोरल से भरपूर होती है । जिन्हें हिंदी में नैतिक ज्ञान कहते है। और हम सदैव कोसिस करेंगे की ऐसी कहानियां लाते रहे आप के लिए।
आपने अपने बचपन मे तमाम कहानिया पढ़ी एवम सुनी होंगी, या फर अपने बड़ो से यानी नानी या दादी से या फिर नाना या बाबा से सुनी होंगी। और उन्ही कहानियों को हम फिर आपके लिए आज लेके आये है । तो देर किस बात की चलिए पढ़ते है साथ मे आज की तीन बेहतरीन नैतिक कहानिया।
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जंगल मे लगी आग | Fire In The Forest
रामपुर गांव के बगल में एक बहुत विशाल जंगल था। जंगल यानी कि नाना प्रकार के पशु, वनस्पति एवम पक्षियों का घर। और उस जंगल के कुछ नियम भी होते है जो कि हमारे और आपके नियम से बेहद अलग होते है। जो सम्भवत: वनजीवो के द्वारा ही समझा जा सकता है। लेकिन इस जंगल की बात अलग है।
यहां कुछ तो अलग है, यह सामान्य जंगलों की तरह ही पशु, पक्षी एवम वनस्पतियां भी है लेकिन यह कुछ अलग है जो आप को भी दुविधा में डाल देगा। जंगल मे अलग अलग समूह बने हुए थे। और सबके इलाके निर्धारित थे। जैसे पानी मे रहने वाला मगर और कछुए का अपना इलाका था। हवा से बातें करने वाला तेज आंखों वाला गिद्ध का अपना अलग इलाका था।
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उत्पाती बंदरो का अपना अलग ही इलाका था। और इनके इलाके में कोई भी जाना पसंद नही करता था। क्योंकि ये इतने उत्पाती थे कि बेवजह ही सबको परेशान करते थे।
और इसी तरह एक और समूह था जो कि भेडियो का था जिनमे भेडियो का झुंड और उसके लीडर का राज चलता था। लेकिन सबसे अलग बात यह है कि इन सबके साथ एक इंसानी बच्चा भी इनके झुंड का सदस्य था। जिसका नाम मोगली था।
मोगली के दो खास मित्र थे। बघीरा और बल्लू। बघीरा एक तेंदुआ था और बल्लू एक भालू था। बल्लू मोगली को जंगल के नियम का पाठ भी पढ़ाया करता था।
सभी जंगल में एक ही राजा होता है जिससे सब डरते है और उसका ही हुक्म माना जाता है और वो है - शेरखान। शेरखान जंगल का राजा था और उसका एक चमचा था जिसका नाम लालची गीदड़ था। वह अपने भोजन के प्रबंध हेतु शेरखान का चमचा बना फिरता है। और अपने राजनके लिए भोजन की तलाश करता रहता है।
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शेरखान को मोगली से बेहद छिड़ रहती थी। वह हमेशा मोगली को अपना शिकार बनाने में तुला रहता था। लेकिन हमेशा वह अपने इस काले मनसूबे में विफल हो जाता था।
गर्मी का मौसम था, धूप बहुत ज्यादा था। सभी जानवर पलायन करना शुरू कर दिए थे। और गिद्ध आसमान में उड़ रहा था और सबको देख रहा था। मोगली और उसके साथी भी अपने अपने भोजन और पानी के तलास के लिए उक्ति बना रहे थे।
तभी अचानक से गिद्ध ने देखा कि जंगल के पश्चिम दिशा के ओर बहुत सारी रोशनी हो रही थी। और गिद्ध उड़ चला यह देखने कि क्या हो रहा है। और वह इतनी भयानक आग को देखकर डर गया।
और तुरन्त मोगली के पास पहुच कर सारी घटना को विस्तार से बताने लगा और जैसे मोगली और उसके साथी इतना सुनते है वो तुरन्त जंगल की एक मीटिंग बुलाते है। और उस मीटिंग का नेतृत्व करता है बल्लू।
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बल्लू सभी जंगलवासी का ध्यान खीचता है और कहता है कि ठीक है अभी हम सब भाग जयेंगे और बच भी जायँगे। लेकिन जरा सोचिये जब अगले मौसम में हम यह दोबारा आएंगे तब यह कुछ नही रहेगा फिर हम कहां जाएंगे।
यह सुन कर सब विचार विमर्श करने लगे और उन सभी जानवरो और पक्षियों ने यह निर्णय लिया कि हम इस आगे को रोकेंगे। और अपने घर को बर्बाद नही होने देंगे। लेकिन बात जितनी आसान सुनने में लग रही थी।
उतनी है नही, एक तो गर्मी का मौसम तपन ज्यादा थी। पानी की कमी थी और आग बुझाने का कोई मार्ग नही सूझ रहा था। और मीटिंग में शेरखान को नही बुलाया गया था उसका डर अलग।
काफी देर विचार विमर्श चला उसके बाद, निर्णय लिया गया कि सभी जानवर पास के गांव रामपुर के लोगो की मदद लेंगे। और यही करना उचित भी था क्यूंकि आग इतनी तेज थी कि वह पूरे जंगल और आसपास के गांव को भी जला कर रख कर सकती थी।
फिर मोगली, हाथी, तोता और बल्लू गाओं जा कर मोगली के मदद से पूरे गाव वालो को बात बतायी फिर । गाओं वालो ने डरते हए जानवरो की मदद करने के लिए तैयार हो गए। फिर क्या सभी लोगो ने मिल कर गांव के तालाब से पानी ले जके आग बुझाने लगे।
शेरखान और गीदड़ भी इस कार्य मे उनकी मदद करने लगे। और काफी मस्कत के बाद जन लोगो ने आग पर काबू पा लिया। और फिर जंगल वासियो ने मनुष्यो से ये विनती की आप लोग हमारे वृक्षो को नुकसान न पहुचाये नही तो ऐसी आग फिर आम हो जयेगी और हम सब नष्ठ हो जयेंगे।
इंसानो ने भी जंगलवासियों को ये वादा किया कि अब वो जंगल को छति नही पहुचाएंगे। और इस तरह वो लोग भी खुसी खुसी आने गांव को वापस लौट गए।
सबके सूझ बुझसे पूरा जंगल जलने से बच गया और लोगों को भी समझ आ गया कि उनके द्वारा कटे जा रहे वृक्षो की कमी से वर्षा में गिरावट हो रही है जिससे जंगलो में सूखा और आग जैसी भयानक स्थितिया पैदा हो रही है।
कहानी से सीख - यह कहानी से हमे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा जैसे बच्चो को लिए सन्देश है कि हमे हमेशा एकता से मुशीबत का सामना करना चाहिये। और प्रकृति से कभी भी छेड़ खानी नही करनी चाहिए। और बड़ो के लुए सन्देश है कि जितना हो सके वृक्षारोपण करे और पशु पक्षियों के साथ अच्छा व्यवहार करें उन्हें हानी न पहुचाये।
सौतेली और सगी माँ | Step Mother & Mother
माधव नाम का एक व्यक्ति रहता था उसका एक बेटा था। बेटे का नाम श्याम था । माधव गरीब था माधव की गरीबी के कारण माधव की पत्नी गायत्री जब श्याम दो वर्ष का था तभी श्याम की मां श्याम और माधव को छोड़कर अपने पिता के घर चली गई।
श्याम दो वर्ष का था उसकी देखभाल करने वाला उसके पिता के अलावा उसकी दादी मां थी। श्याम की दादी श्याम को बहुत प्यार करती थी दादी काफी बूढ़ी हो चुकी थी। उन्हे यह चिंता सता रही थी कि उनके जाने के बाद श्याम का ध्यान कौन रखेगा इसलिए श्याम की दादी चाहती थी की श्याम के पिता की दुसरी शादी करवा दे।
माधव की मां ने कहा बेटा मैं चार दिन की मेहमान हूं आज हूं कल मैं नहीं रहूंगी तो तुम्हारे काम पर जाने के बाद श्याम का ध्यान कौन रखेगा मैं चाहती हूं की मेरे जाने से पहले मैं तुम्हारी दूसरी शादी करवा दू। माधव दुसरी शादी की बात सुनकर चिंतित हुआ और माधव अपनी मां से बोलता है।
मां श्याम का ध्यान अगर दूसरी लड़की क्यूं रखेगी। जब उसकी खुद की मां इस गरीब में नही रही और छोड़कर चली गई तो दूसरे से क्या उम्मीद रखें श्याम की दादी मां ने कहा तुम उसकी चिन्ता मत करो। मेरे नजर में एक लड़की है।
जो तुम्हरी और श्याम दोनो का ख्याल रखेगी माधव मान जाता है माधव की मां अपनी सहेली से सारी बातें बताती है। और अपनी सहेली की बेटी चांदनी की मां से माधव के लिए बात करती है। माधव बहुत सीधा साधा लडका था चांदनी की मां उसे अच्छे से जानती थी।
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माघव की मां की बात सुनकर चांदनी की मां इस रिश्ते के लिए झट से हां कर देती है लेकीन माधव की मां बोलती है। एक बार चांदनी को सारी बात बताकर उसकी राय लेना जरूरी है उसे पूछ लेते हैं अगर वो इस रिश्ते के लिए हां करेगी तभी हम दोनो की शादी करेंगे।
चांदनी की मां अपनी बेटी से बात करती है और चांदनी को सारी बातें बताती है चांदनी भी बहुत समझदार और सुलझी हुई लड़की थी। वह शादी के लिए अपनी मां से बोलती अगर आपको ये रिश्ता पसंद है तो मुझे कोई परेशानी नहीं है मां मैं शादी के लिए तैयार हूं।
माधव और चांदनी की शादी करवा देते हैं चांदनी अपनी सासू मां और छोटे से श्याम और उसके पिता का पूरा ख्याल रखती । चांदनी को सिलाई बुनाई बहुत अच्छे से आता था वो लोगो के कपड़े भी सिलती थी और अच्छा पैसा कमाती थी। इसे माधव की कमाई में चार चांद लग जाता ।
धीरे धीरे दोनो के मेहनत से उनके घर की हालत बहुत अच्छा हो गया श्याम का भी खूब ख्याल रखती बिल्कुल अपने बच्चे के जैसा प्यार करती । श्याम की दादी मां भी पहले से काफी ठीक हो गई और अपनी बहू को बेटी के जैसे प्यार करती थी और पड़ोस में बोलती मेरी बहू ने मेरी उम्र बढ़ा दिया हमारे घर की लक्ष्मी है।
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लोग भी चांदनी की खूब तारीफ करते चांदनी भी बड़ों को आदर सम्मान और छोटे बचो से खूब प्यार करती श्याम भी अपनी नई मां चांदनी से खूब प्यार करता। श्याम बड़ा थोडा बड़ा हुआ तो चांदनी और माधव ने श्याम का स्कूल में नाम लिखवा दिया श्याम पढ़ने में बहुत अच्छा था।
और चांदनी भी पांचवी कक्षा तक पढ़ी थी तो श्याम को घर में पढ़ाती थी । इसलिए श्याम का पूरे कक्षा में अच्छे अंक आते। फिर एक दिन श्याम की दादी का देहान्त हो जाने से तीनों बहुत दुःखी थे । कुछ दिन तो तीनो का मन ही नहीं लग रहा था।
फिर धीरे धीरे चांदनी ने सब संभाल लिया फिर सब अपने अपने कामों में लग गए। धीरे धीरे चांदनी दूसरो को भी सिलाई बुनाई करना सिखाने लगी जिसे और ज्यादा पैसे आने शुरू हो गए। माघव और चांदनी की मेहनत से खूब बड़ा मकान बनवा लिया ।
अब श्याम आठवीं कक्षा में पहुंच गया था। श्याम की पहेली मां गायत्री को जब यह पता चला की माधव काफी रहीश हो गया तो अपना हक मांगने आ गई और श्याम पर भी अपना हक जमाने लगी। लेकिन चांदनी ने कभी श्याम को यह महसूस नही होने दिया की वहा उसकी सौतेली मां है श्याम को तो कभी पता भी नही चलने दिया की उसकी पहली मां उसे छोड़कर चली गई।
जब श्याम की पहेली मां अपना हक जमाने लगी तो पूरे गांव के लोगों को इक्कठा किया गया गांव के मुखिया जी को बुलाया गया पंचायत बैठाया गया। चांदनी माधव और श्याम एक तरफ खड़े थे और माधव की पहली पत्नी गायत्री और उसके घर वाले दुसरे तरफ मुखिया जी ने पुछा किस बात पर पंचायत बुलाया गया है ।
माधव की पहली पत्नी बोलती है मुखिया जी आपके बारे में बारे में बहुत सुना है की आप पंचायत में सिर्फ न्याय करते है और आपके फैसले को इस गांव के लोग सिर झुका कर मान लेते है । मुखिया जी बोलते हैं बिल्कुल ठीक सुना है पंचायत में सिर्फ न्याय होता अब बताओ क्या हुआ है।
माधव की पहली पत्नी बोलती है। मैं माधव की पहली पत्नी गायत्री हूं और श्याम मेरा बेटा है तो श्याम और मेरे पति उसके घर पर सारा हक मेरा बनता है। न कि किसी और का मुखिया जी बोलते है बिल्कुल ठीक बोल रही हो । मुखिया जी बोलते है जो तुमने बताया बिल्कुल ठीक है लेकिन तुमसे तुम्हरा हक कौन छीन रहा और क्यूं तो गायत्री बोलती है।
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ये चांदनी जो मेरे पति से दुसरी शादी की है मेरे जीते जी मेरे पति और बच्चे पर भला किसी और का हक कैसे हो सकता है। मुखिया जी माधव से पूछते हैं क्या ये सच है कि ये तुम्हारी पहली पत्नी और श्याम की मां है माधव बोलता है जी मुखिया ये मेरी पहली पत्नी और श्याम की मां है।
लेकिन मेरी गरीब के कारण ये मुझे और श्याम को छोड़कर चली गई थी। जब श्याम का देखभाल करने वाला कोई नहीं था तब मेरी मां ने मेरी शादी चांदनी से करवा दिया आज भी कुछ मेरे पास है सब मेरी दूसरी पत्नी चांदनी की मेहनत की वजह से है।
गायत्री सोचती है लगता है सब कुछ हाथ से निकल जायेगा तो उसने सोचा पहले बेटे पर कब्जा करती हूं फिर दौलत खुद ही मेरी हो जायेगी । गायत्री मुखिया जी के सामने रोने का नाटक करते हुए बोलती है मुखिया जी माधव ने जो बोला सब झूठ है मुझे कुछ नहीं चहिए।
मुझे सिर्फ मेरा बेटा चहिए और मेरे बेटे के हक में जो आप दिला दो मुखिया जी। मुखिया जी दोनो पक्षों की बाते सुनते हैं फिर बोलते हैं ठीक है फैसला अगले दिन होगा।सब अपने अपने घर चले जाते हैं । मुखिया जी सब कुछ जानते हुए भी की माधव और चांदनी सच्चे हैं।
गांव के मुखिया होने के कारण एक तरफा फैसला नही सुना सकते थे मुखिया जी बहुत चिन्तित थे की तभी श्याम और माधव आते हैं। माधव को पता था की गायत्री ये सब अपने बेटे के लिए नही बल्कि दौलत के लिए कर रही है माधव मुखिया जी को बोलता है की आप श्याम और दौलत में किसी एक को चुनने को बोलेंगे तो आपको फैसला लेने में आसान हो जाएगा। मुखिया जी समझ जाते हैं माधव क्या कहेना चहता है।
घर जाकर श्याम अपने माधव और चांदनी से पूछता है क्या वो औरत सही बोल रही थी आप मेरी मां नही हो चांदनी बोलती है ऐसा नही है। बेटा वो भी आपकी मां है फर्क इतना है कि उन्होने आपको जन्म दिया है और मैने आपको पाला है।
श्यामा बोलता है जो भी हो मुझे कुछ नही जानना लेकिन आप ही मेरी मां हो और मुझे कोई नही चहिए। दूसरे दिन सब इक्कठा होते हैं मुखिया जी बोलते हैं दोनो पक्षों की बात सुनकर हमने सोचा है की माधव की दौलत और बेटे की बटवारा कर देते है ।
मुखिया जी बोलते है माधव की दौलत और बेटे दोनो मे से एक एक दोनो पत्नी खुद ही चुन ले जिसे जो पसंद हो ले ले लड़ाई झगड़ा शांत हो जाएगा मुखिया जी बोलते है तुम माधव की पहली पत्नी हो तो चुनने का मौका तुम्हे पहले दिया जायेगा ।
तुम्हे क्या चहिए दौलत या श्याम गायत्री बोलती है मुखिया जी बचपन से श्याम चांदनी के पास रहा है तो श्याम को चांदनी को दे दीजिए और ये सारी दौलत मुझे फिर मुखिया जी चांदनी से पूछते है चांदनी बोलती है मुखिया जी मुझे मेरे पति और बेटे के अलावा कुछ नही चहिए ।
गायत्री मन ही मन बहुत खुश होती है की सारी दौलत अब मेरी हो जायेगी। मुखिया जी बोलते हैं एक बार और सोच लो गायत्री तुम्हे दौलत चाहिए या तुम्हरा बेटा गायत्री बोलती है सोच लिया है मुखिया जी ये घर ही मुझे दे दीजिए मैं इसी में अपना गुजारा कर लूंगी। इतने में श्याम मुखिया जी से इजाजत मंगता है की मुखिया जी मैं कुछ बोलना चाहता हूं मुखिया जी बोलते है हां बोलो बेटा
श्याम बोलता है जिन्हे अपना बेटा नही बल्कि दौलत चाहिए वो भाला किस हक से मांग कर रही है। इतने में मुखिया जी बोलते हैं बिल्कुल ठीक कहा बेटा तुमने तुम्हारे बोलने से पहले मैं थी फैसला सुनाने वाला था की माधव की दौलत और बच्चे पर सिर्फ चांदनी का हक है।
न की गायत्री का गायत्री आपने लालच के कारण अपने पति और बच्चे दोनो को खो चुकी हो वो भी दस वर्ष पहले ही जब माधव और श्याम को तुम्हारी जरूरत थी तब तुम छोड़कर चली गायी थी। तुम चाहती तो ये दिन नही देखना पड़ता और आज भी तुम्हारे मन में लालच ही था।
इसलिए लालच का परिणाम अच्छा नही होता इसलिए लालच नहीं करनी चाहिए। गायत्री को एहसास होता है की उसने कितना गलत किया वो पूरी पंचायत में सभी से माफ़ी मांगती है और वादा करती है कि कभी वापस उस गांव में नही आयेगी ।
चांदनी और माधव से भी माफी मांगती है और आपने बेटे श्याम से भी माफी मांगते हुए बोलती है कि सबसे बडी गुनेगार बेटा मैं तुम्हारी हूं हो सके तो मुझे माफ कर देना। इतने में चांदनी बोलती है कि आप श्याम की पहली मां हो और हमेशा रहोगी आप चाहो तो हम साथ साथ रह सकते है।
हमारे श्याम के साथ गायत्री बोलती है ये एहसान मैं तुम्हरा कभी नहीं भूलूंगी तुमने इतना मेरे जैसी मां के लिए सोचा लेकिन मैं क्या मुंह लेकर उस घर में जाऊंगी। चांदनी श्याम को बोलती हैं कि ये भी आपकी मां हैं इनके पैर छुओ बेटा श्याम गायत्री के पैर छूता है और हाथ पकड़कर घर ले जाता है ।
माधव नाराज होता है चांदनी के इस फैसले से पर धीरे धीरे गायत्री के अच्छे बर्ताव से सब ठीक हो जाता है । और फिर चारो प्यार से रहने लगते है गायत्री भी चांदनी की हार काम में मदद करती दोनो बहेनों के जैसे रहने लगती हैं और श्याम को दो दो मां का प्यार मिलता । वो बहुत खुश था। श्याम भी अपनी दोनो मां से बहुत खुश था।
कहनी से शिक्षा - इस कहनी से हमे यही शिक्षा मिलती है कि जिंदगी में हर इंसान को बदलने का एक मौका देना चाहिए और कड़ी मेहनत और ईमानदारी से कुछ भी हासिल किया जा सकता है जिंदगी हमे कई ऐसे उतार चढ़ाव मिलते हैं। इसका मतलब ये नही की उसे पीछा छुड़ाकर भाग जाओ हर मुसीबत का डट कर सामना करना चहिए।और मुसीबत कैसी भी हो उसका समाना पूरे को परिवार एक साथ मिलकर करना चाहिए।
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